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    सिंधु जल समझौता सबसे बड़ी रणनीतिक भूल.. हिमंत बिस्वा सरमा ने नेहरू को कोसा

    असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सिंधु जल समझौते को भारत के इतिहास की सबसे बड़ी रणनीतिक भूल बताया है। उन्होंने कहा कि 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा हस्ताक्षरित यह समझौता भारत के हितों के खिलाफ था। इस समझौते के तहत भारत ने अपनी तीन नदियों का पानी पाकिस्तान को दे दिया, जिससे पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के लोगों की जल आवश्यकताओं के साथ समझौता हुआ। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान को सालाना 13.5 करोड़ एकड़ फीट पानी मिलता है, जबकि भारत के पास सिर्फ 3.3 करोड़ एकड़ फीट पानी बचता है।

    विदेशियों के दबाव में फैसला

    सरमा ने कहा कि यह समझौता तत्कालीन अमेरिकी प्रशासन और विश्व बैंक के दबाव में किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि इस समझौते के कारण भारत पश्चिमी नदियों पर केवल छोटी सिंचाई और पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण कर सकता है, जबकि पाकिस्तान को विशाल सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर पूर्ण नियंत्रण मिल गया। सरमा के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्षी दलों ने उनकी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सरमा इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं और राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल कर रहे हैं। सिंधु जल समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हस्ताक्षरित एक जल-बंटवारा समझौता है। इस समझौते के तहत, भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलुज) का पानी मिला, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) का पानी मिला।

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