मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता दिल्ली पहुंच चुके हैं। वे 2-3 दिन दिल्ली में ही रहेंगे। माना जा रहा है ४४ साल बाद बाद अब उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया है। वे यहां बीजेपी के आला नेताओं से मिलकर कांग्रेस को झटका दे सकते हैं। करीब 10 विधायक, पूर्व विधायकों, 3 महापौर भी उनके साथ कांग्रेस छोड़ सकते हैं।
कांग्रेस के संकटमोचक थे कमलनाथ
80 के दशक की बात है, जब छिंदवाड़ा के कांग्रेस सांसद गार्गीशंकर मिश्रा के खिलाफ विद्रोह हुआ। तब इंदिरा गांधी ने दिल्ली से चुनाव लडऩे के लिए कमलनाथ को छिंदवाड़ा भेजा था। छिंदवाड़ा में रैली करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि कमलनाथ मेरे तीसरी पुत्र हैं। इंदिरा की बातों का असर भी हुआ और कमलनाथ यहां से चुनाव जीत गए। वे 9 बार छिंदवाड़ा से सांसद रहे। इस बीच बीजेपी सिर्फ एक बार उपचुनाव में यहां से जीत पाई है। कमलनाथ इंदिरा के पुत्र संजय गांधी के परम मित्र थे, तो राजीव गांधी से भी उनकी करीबी रही है। सोनिया गांधी के भी वे विश्वास पात्र रहे हैं। राहुल गांधी ने 2018 में उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तरजीह देकर मप्र का मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन 2023 में हार के बाद कहानी बदल गई और राहुल के कहने पर उन्हें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष पद से हटा दिया गया।
ढह जाएगा छिंदवाड़ा का किला
अगर कमलनाथ बीजेपी में शामिल हुए तो मप्र में कांग्रेस को बड़ा झटका लगना तय है। विधानसभा हार चुकी कांग्रेस का मजबूत गढ़ भी ढह जाएगा। छिंदवाड़ा वह गढ़ है, जिसे भाजपा भेद नहीं पाई है। पिछले दो विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस इस मजबूत गढ़ को बचाए रखने में कामयाब हुई है। अगर कमलनाथ भाजपा में शामिल हुए, तो कांग्रेस की फिलहाल में मप्र से सांसदों की संख्या शून्य हो जाएगी।