डॉ. श्रीकांत जिचकर को अक्सर भारत का सबसे पढ़ा-लिखा राजनेता कहा जाता है। उनका जीवन शिक्षा, ज्ञान और सार्वजनिक सेवा के प्रति उनके जुनून का एक दुर्लभ उदाहरण है। महज 52 साल की उम्र में निधन हो जाने के बावजूद, उनकी उपलब्धियां आज भी लोगों को हैरान करती हैं।
जिचकर का जन्म 1954 में महाराष्ट्र के नागपुर जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी अद्भुत शैक्षणिक यात्रा में कुल 20 डिग्रियां हासिल की थीं, जो अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड है। उन्होंने चिकित्सा (MBBS, MD), कानून (LLB), पत्रकारिता (BJ), कला (MA), वाणिज्य (M.Com), और विज्ञान (M.Sc) जैसे विभिन्न क्षेत्रों में डिग्रियां प्राप्त कीं। उन्होंने अपनी कुछ डिग्रियां एक ही समय में और कुछ को बार-बार हासिल किया, जैसे कि M.A की कई डिग्रियां।
उनकी शैक्षिक योग्यता यहीं खत्म नहीं होती। उन्होंने दो बार सिविल सेवा की परीक्षा (UPSC) उत्तीर्ण की। पहली बार, उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में चयन प्राप्त किया, लेकिन कुछ ही समय बाद इस्तीफा दे दिया। इसके बाद, उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और इस बार भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के लिए चुने गए। हालाँकि, उन्होंने सार्वजनिक जीवन में कदम रखने के लिए इस पद को भी छोड़ दिया।
राजनीति में कदम रखने के बाद, जिचकर 1980 में महज 26 साल की उम्र में महाराष्ट्र विधानसभा के सबसे युवा सदस्य बने। उन्होंने मंत्री के रूप में भी कार्य किया और विभिन्न विभागों को संभाला। बाद में वे राज्यसभा सांसद भी बने। उनका निधन 2004 में एक सड़क दुर्घटना में हो गया।
डॉ. श्रीकांत जिचकर की कहानी बताती है कि एक व्यक्ति एक साथ कई क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल कर सकता है। उनकी विरासत ज्ञान और शिक्षा के प्रति उनके असीम प्रेम और समाज के लिए कुछ करने की उनकी इच्छा को दर्शाती है।