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    भारत अब खुद बनाएगा AWACS: ‘आसमानी आंख’ से दुश्मनों पर कड़ी नजर

    केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय वायुसेना की ताकत में अभूतपूर्व वृद्धि करने वाले एक बड़े प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखा दी है। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत अगली पीढ़ी के ‘एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम’ (AWACS) का निर्माण स्वयं करेगा। यह निर्णय देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल कर देगा जिनके पास यह अत्यधिक उन्नत तकनीक है।

    लगभग 20,000 करोड़ रुपये के अनुमानित लागत वाले इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) पूरा करेगा। इस पहल के तहत भारतीय वायुसेना को छह बड़े और अत्याधुनिक AWACS विमान मिलेंगे, जो उसकी सामरिक और रणनीतिक क्षमताओं को कई गुना बढ़ा देंगे।

    AWACS क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है? AWACS को ‘आसमानी आंख’ भी कहा जाता है क्योंकि यह एक उड़ता हुआ रडार स्टेशन होता है। यह सैकड़ों किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और जमीन पर हो रही गतिविधियों का पता लगाने में सक्षम होता है। यह वास्तविक समय में हवाई क्षेत्र की निगरानी करता है और महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी प्रदान करता है, जिससे भारतीय वायुसेना को दुश्मनों पर कड़ी नजर रखने और किसी भी खतरे का समय पर जवाब देने में मदद मिलती है। यह हवाई युद्ध में एक गेम-चेंजर साबित होता है, क्योंकि यह अपनी सेनाओं को मार्गदर्शन देता है, हवाई रक्षा का समन्वय करता है, और आक्रामक अभियानों को प्रभावी ढंग से अंजाम देने में सहायता करता है।

    आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम: यह प्रोजेक्ट ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब तक, भारत ऐसे सिस्टम्स के लिए मुख्य रूप से विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर रहा है। स्वदेशी विकास से न केवल बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत होगी, बल्कि यह भारत को अपनी विशिष्ट जरूरतों के अनुसार इन सिस्टम्स को अनुकूलित करने की स्वतंत्रता भी देगा।

    DRDO विभिन्न प्रयोगशालाओं, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच व्यापक सहयोग के माध्यम से इस परियोजना को अंजाम देगा। यह पहल बड़ी संख्या में उच्च-कुशल नौकरियां पैदा करेगी और घरेलू रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगी। इस ‘आसमानी आंख’ के जुड़ने से भारत की हवाई रक्षा क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे खतरों का प्रभावी ढंग से जवाब देने और उन्हें रोकने की हमारी क्षमता मजबूत होगी।

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