भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के क्षेत्र में अमेरिका और चीन जैसी महाशक्तियों से टक्कर लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है। ‘इंडियाएआई मिशन’ के तहत, देश के एआई इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। जल्द ही, भारत के पास 3850 नए ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) होंगे, जो एआई सुपरकंप्यूटिंग क्षमता को कई गुना बढ़ा देंगे।
इंडियाएआई मिशन क्या है?
सरकार ने देश में एआई के विकास को गति देने के लिए ‘इंडियाएआई मिशन’ की शुरुआत की है। इस मिशन का उद्देश्य सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से एआई कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना है। इन जीपीयू को आईआईटी, आईआईएससी और अन्य अनुसंधान संस्थानों में स्थापित किया जाएगा ताकि शोधकर्ताओं, स्टार्टअप्स और नवाचारकर्ताओं को इसका लाभ मिल सके।
जीपीयू क्यों हैं महत्वपूर्ण?
जीपीयू, या ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट, एआई और मशीन लर्निंग के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये चिप्स समानांतर गणना (parallel computing) में बहुत कुशल होते हैं, जो बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) और अन्य जटिल एआई एल्गोरिदम को प्रशिक्षित करने के लिए आवश्यक है।
इस कदम का क्या होगा असर?
- नवाचार को बढ़ावा: यह पहल भारतीय शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स को अत्याधुनिक एआई मॉडल विकसित करने के लिए आवश्यक शक्ति प्रदान करेगी।
- आत्मनिर्भरता: यह विदेशी हार्डवेयर पर हमारी निर्भरता को कम करेगा और हमें एआई के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा।
- वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा: इस कदम से भारत एआई के विकास में अग्रणी देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा, जिससे वह वैश्विक स्तर पर अमेरिका और चीन जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा कर सकेगा।
इस मिशन के तीसरे दौर के तहत, इन जीपीयू को जोड़ा जाएगा। सरकार का लक्ष्य भारत को एआई के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है, और यह कदम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।