पश्चिम एशिया में चल रहे हिंसक संघर्ष और तनाव के बीच, भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनी नीति को एक बार फिर स्पष्ट किया है। भारत ने फलस्तीन मुद्दे पर अपने ‘टू-स्टेट सॉल्यूशन’ के रुख पर दृढ़ता दिखाई है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में लाए गए एक प्रस्ताव के पक्ष में मतदान कर भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि वह इस विवाद का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है।
इस्राइल और हमास के बीच चल रहे हिंसक संघर्ष को 23 महीने से अधिक हो चुके हैं। इस दौरान इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फलस्तीन को एक अलग देश के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया है। इसके बावजूद, भारत ने अपनी दशकों पुरानी नीति को बनाए रखा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने मतदान के माध्यम से यह संदेश दिया है कि वह दो अलग-अलग देशों—इस्राइल और फलस्तीन—के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पक्ष में है।
क्या है ‘टू-स्टेट सॉल्यूशन’?
‘टू-स्टेट सॉल्यूशन’ एक ऐसा समाधान है जिसमें एक स्वतंत्र और संप्रभु फलस्तीनी राष्ट्र का गठन किया जाएगा, जो इस्राइल के साथ शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रहेगा। भारत का मानना है कि यही एक ऐसा रास्ता है जिससे इस लंबे समय से चले आ रहे विवाद का स्थायी और न्यायसंगत समाधान संभव है। भारत ने लगातार यह बात दोहराई है कि वह फलस्तीनी लोगों के अधिकारों का समर्थन करता है और चाहता है कि वे एक स्वतंत्र राष्ट्र में गरिमापूर्ण जीवन जिएं।
यूएन में भारत का यह मतदान विश्व समुदाय को यह स्पष्ट संदेश देता है कि भारत इस्राइल और फलस्तीन के बीच शांति और स्थिरता का समर्थक है, और किसी भी तरह की एकतरफा कार्रवाई के खिलाफ है। भारत का यह कदम उसकी विदेश नीति की स्थिरता और सिद्धांतों पर आधारित है।