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    भारत-रूस मिलकर बनाएंगे ब्रह्मोस-2K मिसाइल: पाकिस्तान चीन की उड़ेगी नींद

    भारतीय रक्षा क्षमताओं को अभूतपूर्व शक्ति प्रदान करने के लिए भारत और रूस मिलकर ‘ब्रह्मोस-2K’ नामक एक अत्याधुनिक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आगामी दिल्ली दौरे के दौरान इस महत्वपूर्ण परियोजना पर एक बड़े समझौते पर हस्ताक्षर होने के संकेत मिल रहे हैं। यह मिसाइल मौजूदा ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का अगला और अधिक घातक अवतार होगी, जो भविष्य के युद्ध परिदृश्यों में भारत को निर्णायक बढ़त दिला सकती है। यह मिसाइल पाकिस्तान व चीन दोनों की नींद उड़ाने वाली साबित होगी।

    चीन और पाकिस्तान पर क्या होगा असर?

    ब्रह्मोस-2K का विकास निश्चित रूप से चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए गंभीर चिंता का विषय होगा:

    • अप्रत्याशित खतरा: इतनी तेज गति, लंबी रेंज और पैंतरेबाज़ी की क्षमता के कारण, ब्रह्मोस-2K को किसी भी मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम (चीन के HQ-9 या पाकिस्तान के एयर डिफेंस) द्वारा रोकना लगभग नामुमकिन होगा। यह दुश्मन के लिए एक अप्रत्याशित और अचूक खतरा बनेगी।
    • प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: इस मिसाइल के आने से भारत की प्रतिरोधक क्षमता में जबरदस्त इजाफा होगा, जिससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन भारत के पक्ष में और मजबूत होगा।
    • मानसिक दबाव: इस तरह की अत्याधुनिक मिसाइल की मौजूदगी ही चीन और पाकिस्तान पर एक बड़ा मनोवैज्ञानिक दबाव डालेगी, जिससे उन्हें भारत के खिलाफ कोई भी सैन्य दुस्साहस करने से पहले कई बार सोचना पड़ेगा।

    कैसा होगा ब्रह्मोस-2K का हाइपरसोनिक अवतार?

    ब्रह्मोस-2K को रूस की उन्नत ‘जिरकॉन (3M22 Zircon)’ मिसाइल की तकनीक पर आधारित माना जा रहा है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं और क्षमताएं इस प्रकार हो सकती हैं:

    • अभूतपूर्व गति: मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल की अधिकतम गति लगभग 3.5 मैक (ध्वनि की गति से 3.5 गुना) है। वहीं, ब्रह्मोस-2K की गति 7-8 मैक तक होने की संभावना है, जिसका अर्थ है कि यह ध्वनि की गति से 7 से 8 गुना तेज रफ्तार से उड़ान भरेगी। ऐसी गति किसी भी मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम के लिए इसे ट्रैक करना और रोकना लगभग असंभव बना देगी।
    • स्क्रैमजेट इंजन: इस हाइपरसोनिक गति को प्राप्त करने के लिए ब्रह्मोस-2K में स्क्रैमजेट (Scramjet) इंजन का उपयोग किया जाएगा। स्क्रैमजेट इंजन हवा से ऑक्सीजन लेकर अपना ईंधन जलाते हैं, जिससे वे बहुत अधिक गति पर भी कुशलता से काम कर सकते हैं और लंबी दूरी तक मार कर सकते हैं।
    • बढ़ी हुई रेंज: जहां वर्तमान ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज लगभग 800 किलोमीटर है, वहीं ब्रह्मोस-2K की मारक क्षमता 1500 किलोमीटर तक होने की बात कही जा रही है। यह भारत को दुश्मन के ठिकानों पर अधिक दूरी से हमला करने की क्षमता प्रदान करेगी।
    • परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता: रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रह्मोस-2K अपने साथ परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम होगी, जिससे यह भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को और मजबूत करेगी। यह पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के वारहेड ले जा सकेगी।

    ब्रह्मोस-2K परियोजना भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के NPO Mashinostroyeniya के बीच एक संयुक्त उद्यम है। यदि पुतिन के दिल्ली दौरे के दौरान इस समझौते पर मुहर लगती है, तो यह भारत-रूस के रणनीतिक संबंधों में एक और मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल भारत की सैन्य ताकत में भारी इजाफा करेगा, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।

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