इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट से पहले भारतीय टीम ने आईपीएल के लंबे सत्र का ‘खुमार’ उतारने और लाल गेंद के क्रिकेट के अनुकूल ढलने के लिए एक अनूठी रणनीति अपनाई है। टीम इंडिया के तेज गेंदबाजों को नेट सत्र के दौरान दो रंग की गेंदों (आधा सफेद और आधा लाल) से अभ्यास करते हुए देखा गया, जो उनकी तैयारी का एक अहम हिस्सा है।
भारतीय टीम के सहायक कोच रेयान टेन डोइशे ने इस विशेष अभ्यास के पीछे के तर्क को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि आईपीएल जैसे टी20 टूर्नामेंट में सफेद गेंद से खेलने की आदत के बाद, टेस्ट क्रिकेट की लाल गेंद वाली लाइन-लेंथ और स्विंग को फिर से हासिल करना गेंदबाजों के लिए चुनौती होती है। दो रंग की गेंद का उपयोग गेंदबाजों को सफेद गेंद के ओवरों के क्रिकेट से लाल गेंद के टेस्ट क्रिकेट में आसानी से बदलाव करने में मदद करता है। यह एक संकेत है जो गेंदबाजों को अपनी गेंदबाजी में आवश्यक समायोजन करने में सहायता करता है।
आईपीएल के दौरान खिलाड़ी तेजी से रन बनाने और विकेट लेने के लिए अलग तरह की लाइन-लेंथ और रणनीति का इस्तेमाल करते हैं। टेस्ट क्रिकेट में धैर्य, अनुशासन और निरंतरता की आवश्यकता होती है, जो कि आईपीएल के माहौल से बिल्कुल अलग है। इस दो रंग की गेंद के अभ्यास से गेंदबाजों को गेंद की सीम, स्विंग और टप्पे को समझने में मदद मिलती है, जो टेस्ट क्रिकेट में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
पहले टेस्ट में मिली हार के बाद, टीम इंडिया दूसरे टेस्ट में वापसी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इस खास अभ्यास सत्र से यह भी संकेत मिलता है कि टीम प्रबंधन खिलाड़ियों को पूरी तरह से टेस्ट मोड में लाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे इंग्लैंड की परिस्थितियों में प्रभावी प्रदर्शन कर सकें और श्रृंखला में वापसी कर सकें। जसप्रीत बुमराह सहित अन्य तेज गेंदबाजों ने इस अभ्यास में भाग लिया, जो इंग्लैंड के बल्लेबाजों के लिए खतरा पैदा करने की टीम की योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।