उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों सचेत करते हुए कहा था कि बंटेंगे तो कटेंगे। उन्होंने यह बात बांगलादेश का उदाहरण देकर कही थी। उनके इस नारे के पोस्टर झारखंड और महाराष्ट्र चुनाव में लगे हैं। इस पर समाजवादी पार्टी ने भी जुड़ेंगे तो जीतेंगे का नारा दिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव का कहना है कि यह सकारात्मक राजनीति है। जबकि भाजपा का ‘नकारात्मक-नारा’ उनकी निराशा-नाकामी का प्रतीक है। इस नारे ने साबित कर दिया है कि उनके जो गिनती के 10 प्रतिशत मतदाता बचे हैं, अब वो भी खिसकने के कगार पर हैं, इसीलिए ये उनको डराकर एक करने की कोशिश में जुटे हैं लेकिन ऐसा कुछ होनेवाला नहीं है।
ये नारा ‘निकृष्टतम-नारे’ के रूप में दर्ज
अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘नकारात्मक-नारे’ का असर भी होता है। इस ‘निराश-नारे’ के आने के बाद उनके बचे-खुचे समर्थक ये सोचकर और भी निराश हैं कि जिन्हें हम ताकतवर समझ रहे थे, वो तो सत्ता में रहकर भी कमजोरी की ही बातें कर रहे हैं। अखिलेश ने कहा कि जिस ‘आदर्श राज्य’ की कल्पना हमारे देश में की जाती है, उसके आधार में ‘अभय’ होता है, ‘भय’ नहीं। यह सच है कि ‘भयभीत’ ही ‘भय’ बेचता है क्योंकि जिसके पास जो होगा, वो वही तो बेचेगा। देश के इतिहास में ये नारा ‘निकृष्टतम-नारे’ के रूप में दर्ज होगा और उनके राजनीतिक पतन के अंतिम अध्याय के रूप में आखिरी ‘शाब्दिक कील-सा’ साबित होगा। जिनका नज़रिया जैसा, उनका नारा वैसा!
कांग्रेस ने छोड़ दिया था, इसलिए तनाव में : मौर्य
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव स्वयं गहरे तनाव के दौर से गुजर रहे हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में कांग्रेस ने उनका साथ छोड़ दिया है। महाराष्ट्र और झारखंड में भी कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ दिया है इसलिए वे स्वयं तनाव में है। भाजपा एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे के मंत्र के साथ लगातार काम कर रही है। अब तक देश ने प्रगति के इतने कीर्तिमान स्थापित किए हैं कि पूरी दुनिया में भारत को जो सम्मान 2014 से पहले नहीं मिल पाता था, वो हमने अर्जित किया है। अखिलेश यादव उपचुनाव में 9 की 9 सीटें हार रहे हैं जिस कारण वे बौखला गए हैं।


