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    बिहार में कन्हैया कुमार के भरोसे पतवार.. क्या बन पाएंगे राहुल गांधी के सिपहसालार

    बिहार विधानसभा चुनाव में अभी छह-सात महीने का समय है, लेकिन राजनीतिक गतिविधियां तेज हो रही हैं। आरजेडी, जेडीयू के साथ ही भाजपा ने तैयारियों को मुकम्मल करना शुरू कर दिया है। इस बीच कांग्रेस भी इस बार ज्यादा मुखर रूप से उतरी नजर आ रही है। इसकी वजह कांग्रेस के युवा नेता कन्हैया कुमार हैं, जिन्हें माना जा रहा है कि बिहार का जिम्मा सौंपा गया है। लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज कन्हैया कुमार के साथ पदयात्रा में पहुंचे हैं। वे एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार की पलायन रोको नौकरी दो.. यात्रा में शामिल होकर पटना में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। इस जनसभा से कांग्रेस को उम्मीद है कि बिहार का युवा उसके पाले में आ जाएगा। बहरहाल यह युवाओं का मुद्दा है और माहौल भी बना हुआ है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि कन्हैया कुमार का सियासी सफर कहां तक पहुंच पाता है। वैसे भी कांग्रेस बिहार में आरजेडी की सहयोगी पार्टी है। ऐसे में अगर उसने अपने पाले की सीटें बचा लीं तो उसके लिए बड़ी कामयाबी होगी।

    दिल्ली से बेगूसराय का सफर किया तय

    जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय दिल्ली में विवादित बोल के कारण कन्हैया कुमार राष्ट्रीय स्तर परचर्चा में आए थे। दिल्ली में चर्चित यह युवक बेगूसराय का है और वे यहां गिरिराज सिंह को टक्कर भी दे चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब सीपीआई ने कन्हैया कुमार को बेगूसराय संसदीय सीट पर प्रत्याशी बनाया तो देश के तमाम ऐसे दिग्गज चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे। बेगूसराय हॉट सीट बन गई, लेकिन जब परिणाम आए तो सीपीआई और राजद का वोट मिलाकर भी भाजपा प्रत्याशी गिरिराज सिंह से कोसों दूर थे। तब गिरिराज सिंह को 6,92,193 वोट मिले थे। कन्हैया कमार को 2,69,976 और राजद के मो. तनवीर हसन को 1,98,233 वोट मिले थे। हार के बाद कन्हैया कुमार को लेकर वामदलों के अंदर भी असहजता दिखी और कांग्रेस में अ गए। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली से भाजपा के मनोज तिवारी के सामने कन्हैया कुमार को उतारा। कन्हैया ने यहां मनोज तिवारी को ठीक-ठाक टक्कर दी। मनोज तिवारी को 8,24,451 मत मिले थे तो कन्हैया कुमार को 6,85,673 वोट मिले थे।

    युवा नेतृत्व उभारने का प्रयास

    कांग्रेस बिहार में युवा नेता को उभारने का प्रयास कर रही है। यही कोशिश उसने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में की है। अब देखना होगा कि कन्हैया कुमार बिहार में कांग्रेस की कितनी जमीन बचा पाते हैं। गठबंधन धर्म के बाद कांग्रेस का रिकॉर्ड कैसा रहता है, यह देखने वाली बात होगी। लगातार 3 हार से कांग्रेस सदमे में है। ऐसे में बिहार में ठीकठाक प्रदर्शन रहा तो उसके लिए संतोष की बात होगी।

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