तालिबान ने पाकिस्तान के साथ चल रहे तनाव को कम करने के लिए चीन को मध्यस्थ बनाने का अवसर देते हुए एक सख्त अल्टीमेटम दिया है। तालिबान के उप विदेश मंत्री नईम वर्दक ने अफगानिस्तान के लिए चीन के विशेष दूत यू शियाओयोंग से काबुल में हुई एक बैठक के दौरान स्पष्ट कहा कि पिछले चार वर्षों में पाकिस्तान ने “तालिबान प्रशासन की सहनशीलता की परीक्षा ली है।”
उसी तरह जवाब देने” के लिए मजबूर किया
तालिबान के विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, वर्दक ने चीनी दूत को बताया कि पाकिस्तान की लगातार कार्रवाइयों ने काबुल को अब “उसी तरह जवाब देने” के लिए मजबूर किया है। यू शियाओयोंग ने तालिबान को आश्वासन दिया कि बीजिंग, तालिबान और पाकिस्तान के बीच विवादों को कम करने में “रचनात्मक भूमिका” निभाने को तैयार है। उन्होंने कतर और तुर्की के युद्धविराम प्रयासों की भी सराहना की। वर्दक ने दोहराया कि तालिबान प्रशासन बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है और सभी देशों के साथ पारस्परिक सम्मान के आधार पर संबंध बनाना चाहता है। उन्होंने यह भी कहा कि अफगान क्षेत्र का उपयोग किसी अन्य देश को धमकाने के लिए नहीं किया जाएगा।
- चीन के हित: चीन, जो पाकिस्तान का रणनीतिक सहयोगी है और तालिबान के साथ भी अपने संबंध मजबूत कर चुका है, दोनों पड़ोसी देशों के बीच की दरार को अपने क्षेत्रीय हितों, विशेष रूप से बेल्ट एंड रोड पहल के विस्तार के लिए हानिकारक मानता है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब चीन पिछले चार वर्षों में तालिबान के साथ अपने राजनयिक संपर्क को लगातार बनाए हुए है और बीजिंग स्थित अफगान दूतावास भी अब तालिबान के नियंत्रण में है। विश्लेषकों का मानना है कि चीन इस दरार को भरने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाना चाहता है।


