भारतीय जनता पार्टी (भाजपा तेलंगाना) की ओर से राज्य के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। इस याचिका में रेवंत रेड्डी के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणियों के मामले को रद्द करने के तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान रेवंत रेड्डी ने कहा था कि अगर भाजपा तेलंगाना में सत्ता में आती है तो वह आरक्षण समाप्त कर देगी।
‘शीर्ष अदालत को राजनीतिक लड़ाई लड़ने के मंच में नहीं बदला जाना चाहिए’
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया कि शीर्ष अदालत को राजनीतिक लड़ाई लड़ने के मंच में नहीं बदला जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की, ‘यदि आप एक राजनेता हैं, तो आपके पास इन सब चीजों को सहने के लिए मोटी चमड़ी होनी चाहिए।’
कोर्ट ने क्या कहा?
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है। पीठ ने कहा, ‘हम बार-बार कह रहे हैं कि इस अदालत का इस्तेमाल राजनीतिक लड़ाई के लिए न करें। खारिज। अगर आप एक राजनेता हैं, तो आपको मोटी चमड़ी रखनी चाहिए।’
याचिका में क्या आरोप?
भाजपा की तेलंगाना इकाई (जिसका प्रतिनिधित्व उसके महासचिव कर रहे थे) ने मई 2024 में रेड्डी के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने पार्टी के खिलाफ अपमानजनक और भड़काऊ भाषण दिया था। दावा किया गया कि CM रेड्डी ने तेलंगाना कांग्रेस के साथ मिलकर एक फर्जी और संदिग्ध राजनीतिक कहानी गढ़ी कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो वह आरक्षण खत्म कर देगी। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि कथित मानहानिकारक भाषण ने एक राजनीतिक दल के रूप में भाजपा की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है।