लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में कांग्रेस को झटका लगा है। पार्टी ने 20 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था, लेकिन सिर्फ 9 सीटें ही जीत पाई। ऐसे में अब कांग्रेस के अंदर ही मांग उठ रही है कि उसने जो 5 गारंटियां दी थीं, उनकी समीक्षा की जाए। क्योंकि सरकार इन कार्यक्रमों पर सालाना 52 हजार करोड़ रुपए खर्च करती है। इन गारंटियों में महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा, 200 यूनिट तक फ्री बिजली, महिला मुखिया को हर महीने 2000 रुपए देने जैसे लोकलुभावन वादे हैं। कांग्रेस ने इन गारंटियों को दूसरे राज्यों और लोकसभा चुनाव में भी आजमाया, लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिली।
वापस ले ले गारंटियां
कांग्रेस विधायक एचसी बालकृष्ण ने कहा कि अगर पार्टी चुनाव में खराब प्रदर्शन करती है तो शासन की योजनाओं को वापस लेने पर विचार करना चाहिए। वहीं सीएम सिद्धारमैया के गृहजिले मैसूर से चुनाव हारे एम लक्ष्मण को भी यही दर्द है कि मुफ्त की रेवडिय़ां देने के बाद भी उनकी हार हुई है। उन्होंने इन योजनाओं की समीक्षा की मांग की। साथ ही कहा कि लोकसभा चुनाव में जो जनादेश मिला है, वह इन योजनाओं के खिलाफ है। एक और कांग्रेस विधायक जेटी पाटिल ने भी योजनाओं की समीक्षा की मांग की। कांग्रेस विधायकों के एक तबके का मानना है कि ये गारंटी योजनाएं विकास कार्यों की कीमत पर आई हैं और इनसे पार्टी को वोट नहीं मिले हैं।