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    जीवन रहा तो मिलेंगे, नहीं तो ऊपर… एनकाउंटर का था डर, आजम खान का छलका दर्द

    समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल के साथ एक विस्तृत बातचीत में अपनी जेल यात्रा का दर्द बयां किया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में, आजम खान ने छात्र राजनीति से लेकर जेल में अपने अनुभवों तक खुलकर बात की।

    एनकाउंटर का डर और बेटे से भावनात्मक जुदाई

    आजम खान ने उस भावनात्मक क्षण को याद किया जब उन्हें और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को रामपुर जेल से सीतापुर जेल (दूसरी बार) शिफ्ट किया जा रहा था।

    • जुदाई और डर: उन्होंने बताया, “दूसरी बार रात तीन बजे हमें सोते से उठाया गया। मेरे लिए अलग गाड़ी और अब्दुल्ला को दूसरी गाड़ी में बैठाया गया।”
    • एनकाउंटर की आशंका: उन्होंने कहा कि उस वक्त उन्हें एनकाउंटर का डर था, क्योंकि वह जेल में लगातार ऐसी खबरें सुन रहे थे। उन्होंने कहा, “ऐसे में जो पिता होगा वह अपनी औलाद को लेकर पीड़ा समझ जाएगा।”
    • अंतिम विदाई: उस आशंका भरे माहौल में, आजम खान ने बेटे अब्दुल्ला को गले लगाया और कहा, “बेटे जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे, नहीं तो ऊपर मिलेंगे।” उन्होंने राहत की सांस तभी ली जब वे दोनों अलग-अलग जेलों में सकुशल शिफ्ट हो गए।

    94 मुकदमों को बताया बेबुनियाद

    आजम खान ने अपने खिलाफ चल रहे 94 मुकदमों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ बदले की भावना से राजनीति की जा रही है, जबकि पहले सदन के अंदर आलोचना के बाद भी नेता आत्मीयता से मिलते थे।

    • राजनीतिक जीवन: उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्र राजनीति और इमरजेंसी के दौरान देशद्रोह के आरोप में जेल जाने के किस्से सुनाए। उन्होंने प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जमकर तारीफ भी की।
    • गुनाह: उन्होंने कहा कि उन्होंने सिर्फ एक यूनिवर्सिटी (जौहर यूनिवर्सिटी) बनाई, यही उनका गुनाह है। उन्होंने इच्छा जताई कि वह मुकदमों का दाग हटने के बाद ही सदन में प्रवेश करना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि जेल में उन्हें एक तरह से फाँसीघर में रखा गया था।
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