सिंधु जल समझौता 1960 में हुआ था जो कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ एक महत्वपूर्ण समझौता है। ये समझौता दोनों देशों के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के बँटवारे और उपयोग को नियंत्रित करता है। यदि भारत इस समझौते को रोकता है, तो पाकिस्तान पर इसके गंभीर और बहुआयामी प्रभाव पड़ेंगे। वहीं सिंधु नदी के जल का उपोग भारत में होगा तो समृद्धि बढ़ेगी। पाकिस्तान वैसे ही कंगाल है और उसकी हालत सीरिया जैसी हो जाएगी। सिंधु जल समझौते को रोकने का पाकिस्तान पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा, जिससे जल संकट, कृषि पतन, ऊर्जा की कमी और सामाजिक अशांति फैल सकती है। यह कदम पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा साबित होगा। आईए आपको बताते हैं कि इन क्षेत्रों में पाकिस्तान पूरी तरह से बिखर जाएगा।
गंभीर जल संकट पैदा हो जाएगा
पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था बड़े पैमाने पर सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। यह प्रणाली पंजाब और सिंध प्रांतों में लाखों एकड़ कृषि भूमि को सिंचित करती है। यदि भारत पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब), जिनका पानी समझौते के तहत पाकिस्तान को आवंटित है, के प्रवाह को रोकता है या मोड़ता है, तो पाकिस्तान में गंभीर जल संकट पैदा हो जाएगा। इससे फसलों की पैदावार में भारी कमी आएगी और खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
कृषि अर्थव्यवस्था पर मार
पाकिस्तान की लगभग 70 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। पानी की कमी से गेहूं, चावल, कपास और गन्ने जैसी मुख्य फसलों का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा। इससे किसानों की आय में भारी गिरावट आएगी और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा। कृषि उत्पादन में कमी से खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे आम आदमी का जीवन और मुश्किल हो जाएगा।
बिजली उत्पादन घटेता, ऊर्जा संकट बढ़ेगा
पाकिस्तान अपनी बिजली की जरूरतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जलविद्युत परियोजनाओं से पूरा करता है, जो सिंधु नदी प्रणाली पर स्थित हैं। पानी की आपूर्ति में बाधा आने से बिजली उत्पादन कम हो जाएगा, जिससे देश में पहले से मौजूद ऊर्जा संकट और गहरा जाएगा। उद्योगों और घरों में बिजली की कमी से आर्थिक गतिविधियां ठप हो सकती हैं।
सामाजिक अशांति से टूट जाएगा आतंकिस्तान
पानी और भोजन की कमी से पाकिस्तान में सामाजिक अशांति और विरोध प्रदर्शन बढ़ सकते हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहाँ लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। पानी के बँटवारे को लेकर पहले से ही पाकिस्तान के विभिन्न प्रांतों के बीच तनाव मौजूद है, और इस स्थिति के और बिगडऩे की संभावना है।
अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ाने का प्रयास करेगा पाक
सिंधु जल समझौते को एक महत्वपूर्ण जल-बँटवारा संधि के रूप में विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। भारत द्वारा इसे एकतरफा ढंग से रोकने पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया नकारात्मक हो सकती है। पाकिस्तान इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठा सकता है, जिससे भारत पर कूटनीतिक दबाव बढ़ेगा। हालांकि समझौते के मुताबिक भारत अपने हिस्से का पानी नहीं देगा।