पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। यदि स्थिति और बिगड़ती है और दोनों देशों के बीच युद्ध की नौबत आती है, तो भारतीय वायुसेना (आईएएफ) पर एक बड़ी जिम्मेदारी होगी। युद्ध की स्थिति में आईएएफ का प्राथमिक लक्ष्य दुश्मन की वायुसेना को बेअसर करके हवाई क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करना होगा। इसके लिए आईएएफ के पास आधुनिक लड़ाकू विमान जैसे राफेल, सुखोई-30एमकेआई और मिराज-2000 मौजूद हैं। आईएएफ जमीनी सैनिकों को हवाई सहायता प्रदान करेगी, जिसमें दुश्मन के ठिकानों पर बमबारी, सैनिकों और हथियारों का परिवहन और टोही मिशन शामिल हैं।
आईएएफ पाकिस्तान के महत्वपूर्ण सैन्य और औद्योगिक ठिकानों पर लंबी दूरी के हमले करने में सक्षम है, जिससे दुश्मन की युद्ध लडऩे की क्षमता को कमजोर किया जा सके। आईएएफ भारतीय हवाई क्षेत्र को दुश्मन के हवाई हमलों से बचाने के लिए भी जिम्मेदार होगी। इसके लिए आईएएफ के पास एस-400 जैसे आधुनिक मिसाइल सिस्टम मौजूद हैं।
यह भी हैं चुनौतियां
पाकिस्तान की वायुसेना भी आधुनिक विमानों और मिसाइल प्रणालियों से लैस है, जिससे मुकाबला चुनौतीपूर्ण हो सकता है। जम्मू-कश्मीर और सीमावर्ती क्षेत्रों की कठिन भौगोलिक परिस्थितियां हवाई अभियानों को जटिल बना सकती हैं। युद्ध की स्थिति में भारत पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से संयम बरतने का दबाव भी हो सकता है। हालांकि भारतीय वायुसेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहती है। नियमित अभ्यास और आधुनिक हथियारों के अधिग्रहण से आईएएफ की क्षमता लगातार बढ़ रही है। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति में, भारतीय वायुसेना देश की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हवाई श्रेष्ठता स्थापित करने से लेकर जमीनी सैनिकों को सहायता प्रदान करने और दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने तक आईएएफ पर एक बड़ी जिम्मेदारी होगी। हालांकि, पाकिस्तानी वायुसेना और भौगोलिक चुनौतियों को भी ध्यान में रखना होगा।