इंग्लैंड के खिलाफ हेडिंग्ले में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच के तीसरे दिन (22 जून) भारतीय टीम की फील्डिंग बेहद निराशाजनक रही। भारतीय फील्डरों ने तीन दिनों के भीतर कुल 6 कैच टपकाए, जिसने टीम इंडिया के नाम फील्डिंग का एक शर्मनाक रिकॉर्ड दर्ज करा दिया है। इस लचर प्रदर्शन से टीम पर दबाव बढ़ा है और मैच में इंग्लैंड को वापसी का मौका मिल गया।
मैच के तीसरे दिन चायकाल तक भारत ने 6 कैच टपकाए, जो पिछले पांच सालों में टेस्ट क्रिकेट में उसका सबसे खराब फील्डिंग प्रदर्शन है। इन छोड़े गए कैचों ने इंग्लैंड को बड़ा स्कोर बनाने में मदद की, और भारतीय टीम जो एक अच्छी बढ़त हासिल कर सकती थी, वह केवल 6 रनों की मामूली लीड पर ही सिमट गई।
सबसे ज्यादा निराशा युवा सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने की, जिन्होंने अकेले ही तीन कैच टपकाए। हैरानी की बात यह है कि ये तीनों कैच तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह की गेंदों पर छूटे, जो खुद शानदार लय में गेंदबाजी कर रहे थे। जायसवाल के इन ड्रॉप्स का खामियाजा टीम को भुगतना पड़ा, क्योंकि जिन बल्लेबाजों को जीवनदान मिला, उनमें से दो ने अर्धशतक और एक ने शतक जड़ा। बेन डकेट को 15 रन के निजी स्कोर पर दो जीवनदान मिले, जिसका फायदा उठाकर उन्होंने 62 रन की पारी खेली। इसी तरह, ओली पोप (62) और हैरी ब्रूक (99) को भी जीवनदान मिला, जिन्होंने अपनी टीम के लिए महत्वपूर्ण रन जोड़े।
इनके अलावा, ऋषभ पंत और रवींद्र जडेजा से भी एक-एक कैच छूटा, जिससे इंग्लैंड के बल्लेबाजों को खुलकर खेलने का मौका मिला। जसप्रीत बुमराह, जिन्होंने 5 विकेट लेकर शानदार प्रदर्शन किया, ने भी अपनी निराशा व्यक्त की, लेकिन टीम के खिलाड़ियों का बचाव करते हुए कहा कि “रोने से कुछ नहीं होगा” और कोई भी जानबूझकर कैच नहीं छोड़ता।
भारतीय टीम की इस खराब फील्डिंग पर कई पूर्व क्रिकेटरों और विशेषज्ञों ने भी सवाल उठाए हैं। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने कहा कि अगर भारत ने कैच पकड़े होते तो उसे लगभग 150 रनों की बढ़त मिल सकती थी।
फिलहाल, भारत ने अपनी दूसरी पारी में 2 विकेट के नुकसान पर 90 रन बना लिए हैं और उसकी कुल लीड 96 रनों की है। हालांकि, इस खराब फील्डिंग ने निश्चित रूप से भारतीय टीम के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं और इंग्लैंड को मैच में बने रहने का मौका दिया है। अब देखना होगा कि चौथे दिन भारतीय टीम इस खराब फील्डिंग के प्रदर्शन से उबर कर कैसा खेल दिखाती है।