गुजरात के लिए एक अच्छी खबर है। राज्य में एशियाई शेरों की संख्या में पिछले पांच वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। गुजरात में अब 891 एशियाई शेर हैं, जो 2020 में 674 थे। यह करीब 32.2 प्रतिशत की शानदार वृद्धि है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने आज गांधीनगर सचिवालय में शेरों की गिनती के आंकड़े सार्वजनिक करते हुए यह जानकारी दी। यह 16वीं शेर गणना कार्यक्रम 10 से 13 मई 2025 तक चलाया गया था। वन विभाग और प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की एक बड़ी टीम ने डायरेक्ट बीट वेरिफिकेशन पद्धति का उपयोग करते हुए आधुनिक तकनीक जैसे हाई-रेसोल्यूशन कैमरा, कैमरा ट्रैप्स, रेडियो कॉलरिंग, ई-गुजफॉरेस्ट मोबाइल एप्लिकेशन और जीआईएस सॉफ्टवेयर का भी इस्तेमाल किया। इस गणना में कुल 196 नर, 330 मादा, 140 उप-वयस्क और 225 शावक शामिल हैं।
शेरों का बसेरा हुआ विस्तारित
इस गणना का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि एशियाई शेरों का भौगोलिक विस्तार भी बढ़ा है। पहले ये शेर मुख्य रूप से गिर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य तक सीमित थे, लेकिन अब इनकी उपस्थिति गुजरात के 11 जिलों में फैल गई है। इनमें जूनागढ़, गिर-सोमनाथ, भावनगर, राजकोट, मोरबी, सुरेंद्रनगर, देवभूमि द्वारका, जामनगर, अमरेली, पोरबंदर और बोटाद शामिल हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक जयपाल सिंह ने बताया कि गिर राष्ट्रीय उद्यान और उससे जुड़े अभयारण्यों में 384 शेर पाए गए, जबकि 507 शेर इन क्षेत्रों के बाहर मिले हैं, जिनमें पनिया, मटियाला, गिरनार और बारदा जैसे संरक्षित क्षेत्र और कई गैर-जंगल व तटीय इलाके भी शामिल हैं। यह वृद्धि राज्य सरकार के संरक्षण प्रयासों, प्रोजेक्ट लायन और स्थानीय समुदायों के सहयोग का परिणाम है। 1936 में पहली जनगणना के बाद से एशियाई शेरों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, जो वैश्विक स्तर पर लुप्तप्राय इस प्रजाति के लिए एक बड़ी सफलता है।


