More
    HomeHindi Newsपाकिस्तान-सऊदी के समझौते से दुनिया पर क्या असर, बदलेंगे पश्चिम एशिया के...

    पाकिस्तान-सऊदी के समझौते से दुनिया पर क्या असर, बदलेंगे पश्चिम एशिया के समीकरण

    परमाणु शक्ति से लैस पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच 17 सितंबर को एक ऐतिहासिक पारस्परिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। इस समझौते की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें किसी भी देश पर होने वाले हमले को दोनों के खिलाफ हमला माना जाएगा। पश्चिम एशिया में बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच इस समझौते ने विश्लेषकों का ध्यान खींचा है। विशेष रूप से, कतर पर पिछले सप्ताह हुए इजरायली हमले के बाद इस समझौते की घोषणा खाड़ी देशों में बढ़ती सुरक्षा चिंताओं का संकेत देती है।

    विश्लेषकों का मानना है कि यह समझौता सिर्फ एक रक्षा संधि से कहीं ज्यादा है। सऊदी अरब का अमेरिका द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा गारंटी पर भरोसा कम हो रहा है। इसी के मद्देनजर, रियाद अपनी सुरक्षा व्यवस्था को पुनर्गठित कर रहा है। नोट में बताया गया है कि सऊदी अब पाकिस्तान की जनशक्ति, परमाणु विश्वसनीयता और युद्ध अनुभव की ओर देख रहा है, जो उसे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं।

    यह समझौता केवल पाकिस्तान के साथ साझेदारी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके जरिए रियाद ने इस्लामी दुनिया में अपने नेतृत्व को लेकर एक कड़ा संदेश दिया है। यह संदेश सीधे तौर पर तुर्की और ईरान जैसे देशों के लिए है, जो इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। खुफिया नोट में खाड़ी देशों के बीच बढ़ते मतभेदों का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का भारत और इजराइल के साथ बढ़ती नजदीकी और कतर का ईरान के साथ संबंधों का जिक्र है।

    इस समझौते से पाकिस्तान को भी कई रणनीतिक और आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है। यह समझौता मुस्लिम दुनिया में पवित्र स्थलों के संरक्षक के रूप में पाकिस्तान की छवि को पुनर्जीवित करेगा। इसके अलावा, पाकिस्तान को नई फंडिंग मिल सकती है, जो उसकी डांवाडोल अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करेगी। यह समझौता इस्लामाबाद को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) पर निर्भरता से अलग, एक रणनीतिक साझेदार के रूप में स्थापित करता है। पाकिस्तान इसके जरिए इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) में अपना खोया हुआ प्रभाव भी फिर से स्थापित करना चाहता है।

    कुल मिलाकर, यह रक्षा समझौता पश्चिम एशिया में नए समीकरणों की शुरुआत है, जिसमें सऊदी अरब अपनी सुरक्षा और नेतृत्व को लेकर नए सिरे से रणनीति बना रहा है। वहीं, पाकिस्तान के लिए यह न केवल आर्थिक मदद का जरिया है, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करने का एक बड़ा अवसर भी है।

    RELATED ARTICLES

    Most Popular

    Recent Comments