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    बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है होली.. ये तीन पुरातन कथाएं हैं प्रचलित

    होली का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। इस त्योहार से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा भक्त प्रह्लाद और होलिका की है। इसके अलावा होली का त्योहार भगवान कृष्ण के कारण भी जाना जाता है। यही वजह है कि मथुरा, वृंदावन में खास तरह की होली मनाई जाती है। होली पर कामदेव की कथा भी प्रचलित है।

    भक्त प्रह्लाद और होलिका की कथा

    प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक शक्तिशाली असुर राजा था जिसने ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त किया था कि उसे न कोई मनुष्य मार सकता है, न कोई पशु, न दिन में, न रात में, न घर के अंदर, न बाहर, न पृथ्वी पर, न आकाश में और न ही किसी अस्त्र-शस्त्र से। इस वरदान के कारण हिरण्यकशिपु अहंकारी और अत्याचारी हो गया। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र को विष्णु भक्ति से रोकने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन प्रह्लाद अपनी भक्ति में अटल रहा। क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को जलाने के लिए कहा। होलिका को अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर जलती हुई चिता पर बैठ गई। भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा, जबकि होलिका जलकर राख हो गई। तभी से होलिका दहन का त्योहार मनाया जाने लगा।

    राधा-कृष्ण की कथा

    होली को राधा-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। माना जाता है कि कृष्ण गोपियों के साथ रंगों से होली खेलते थे। मथुरा और वृंदावन में होली का खास महत्व होता है। मथुरा और वृंदावन वासी कृष्ण की याद में होली का पर्व धूमधाम से मनाते हैं और भगवान कृष्ण का पूजन-अर्चन करते हैं।

    कामदेव की कथा भी है प्रचलित

    एक अन्य कथा के अनुसार, होली के दिन भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। इसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शिव से कामदेव को पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की। तब भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया, लेकिन उन्हें अनंग बना दिया।

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