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    27 अप्रैल का इतिहास : बाबर बना था दिल्ली का सुल्तान.. जर्मनी ने यूनान पर किया था कब्जा

    देश-दुनिया के इतिहास में 27 अप्रैल का दिन बेहद अहम रहा है। 1526 को मुगल शासक बाबर ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को पराजित करने के बाद दिल्ली के सिंहासन पर अपना अधिकार स्थापित किया। यह घटना भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिसने दिल्ली सल्तनत के अंत और मुगल साम्राज्य की शुरुआत को चिह्नित किया। बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई 21 अप्रैल, 1526 को लड़ी गई थी। लोदी की विशाल सेना को अपनी बेहतर सैन्य रणनीति और तोपखाने के कुशल उपयोग से हराया था। इस निर्णायक जीत ने बाबर के लिए दिल्ली और आगरा के दरवाजे खोल दिए, जिससे वह नए बादशाह के रूप में स्थापित हुआ। बाबर मध्य एशिया से आया था, एक महत्वाकांक्षी और कुशल सैन्य नेता था। उसकी जीत ने न केवल एक नए राजवंश की नींव रखी, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को भी बदल दिया। मुगल साम्राज्य ने आने वाले सदियों तक भारत पर शासन किया और कला, साहित्य और वास्तुकला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज इस ऐतिहासिक घटना को याद किया जाता है क्योंकि इसने भारत के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की थी। बाबर का सिंहासन पर बैठना एक लंबी और प्रभावशाली मुगल शासनकाल की शुरुआत थी, जिसने भारतीय इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी।

    एथेंस पर अपना नियंत्रण स्थापित किया

    27 अप्रैल 1941 को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जर्मनी की शक्तिशाली सेना ने यूनान की राजधानी एथेंस पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया। यह घटना ग्रीस के युद्ध में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जो एक्सिस शक्तियों और मित्र देशों के बीच लड़ा जा रहा था। जर्मन सेना ने तेजी से आगे बढ़ते हुए यूनानी प्रतिरोध को कमजोर कर दिया और आखिरकार एथेंस पर कब्जा कर लिया। इस कब्जे के साथ ही, यूनान एक्सिस शक्तियों के नियंत्रण में आ गया, जिससे मित्र देशों के लिए एक और रणनीतिक झटका लगा। एथेंस, जो प्राचीन सभ्यता का केंद्र था, अब नाजी जर्मनी के कब्जे में था, जिसने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया। इस घटना ने न केवल यूनान के लोगों के लिए एक कठिन समय की शुरुआत की, बल्कि भूमध्य सागर क्षेत्र में भी शक्ति संतुलन को बदल दिया। जर्मनी का एथेंस पर कब्जा मित्र देशों के लिए एक बड़ा नुकसान था, क्योंकि इसने उन्हें इस महत्वपूर्ण क्षेत्र से पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम को आज भी याद किया जाता है, जो युद्ध के विस्तार और एक्सिस शक्तियों की प्रारंभिक सफलताओं का प्रतीक है। एथेंस का पतन मित्र देशों के लिए एक चेतावनी थी और उन्होंने जर्मनी के बढ़ते प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए अपनी रणनीति को और मजबूत किया।

    ये भी हैं अन्य घटनाएं

    • 1526 में मुगल शासक बाबर दिल्ली के सुल्तान को पराजित कर नया बादशाह बना।
    • 1662 में नीदरलैंड और फ्रांस ने सैन्य संधि पर हस्ताक्षर किए।
    • 1748 में मुगल शासक मुहम्मद शाह का दिल्ली में निधन हुआ।
    • 1878 में कलकत्ता विश्वविद्यालय ने महिलाओं को विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में पात्रता के लिए पहली मंजूरी दी।
    • 1908 में लंदन में चौथे ओलंपिक खेल शुरू हुए।
    • 1941 में जर्मनी की सेना ने एथेंस (यूनान) पर कब्जा किया।
    • 1942 में अमेरिका के ओकलाहोमा प्रांत में तूफान के कारण 100 लोग मारे गए।
    • 1960 में नेशनल डिफेंस कॉलेज की नई दिल्ली में स्थापना।
    • 1961 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने गामा किरणों के अध्ययन के लिए पृथ्वी की कक्षा में एक्सप्लोरर 11 लांच किया।
    • 1961 में सिएरा लियोन ने ब्रिटेन से स्वाधीनता की घोषणा की।
    • 1963 में क्यूबा के तत्कालीन प्रधानमंत्री फिदेल कास्त्रो रूस की अपनी यात्रा के दौरान राजधानी मॉस्को पहुंचे।
    • 2000 में भारत के मशहूर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को उनके योगदान के लिए पद्म भूषण सम्मान से नवाज़ा गया।
    • 2011 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने जन्म को लेकर हुए विवाद के बाद सार्वजनिक तौर पर जन्म प्रमाण पत्र की एक प्रति जारी की।
    • 2012 में यूक्रेन के द्निप्रोपेत्रोव्स्क में चार धमाकों में 27 मरे।
    • पुर्तगाली खोजकर्ता फर्डिनेंड मैगलन, जो विश्व की परिक्रमा करने वाले पहले अभियान का नेतृत्व कर रहे थे, फिलीपींस में एक युद्ध के दौरान मारे गए।
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