भारत ने जहां पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर चलाकर 90 आतंकियों का सफाया किया तो छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर माओवादियों के विरुद्ध चल रहे एक बड़े आपरेशन में सुरक्षाबलों को महत्वपूर्ण सफलता मिली है। बुधवार तडक़े से जारी मुठभेड़ में जवानों ने करीब 22 माओवादियों को मार गिराया है। अब तक घटनास्थल से 18 नक्सलियों के शव बरामद किए जा चुके हैं। मारे जाने वाले माओवादियों की संख्या और भी बढ़ सकती है।
डीजी रखे हुए हैं नजर
केंद्र सरकार ने 26 मार्च 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य रखा है। दिल्ली स्थित सीआरपीएफ के महानिदेशक (डीजी) ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह स्वयं इस आपरेशन पर लगातार नजर रखे हैं। जवान इस ऐतिहासिक सफलता की ओर बढ़ रहे हैं। इस आपरेशन में जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), कोबरा बटालियन और विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के बहादुर जवान नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं।
कर्रेगुट्टा अभियान में पहले मिल चुके हैं 4 शव
छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर टॉप नक्सली घिरे हुए हैं। अब तक यहां से 4 नक्सलियों के शव और हथियार मिल चुके हैं। माओवादियों के सैकड़ों ठिकाने और बंकर नष्ट किए गए हैं। 200 से अधिक आइईडी भी इस पहाड़ी से मिले हैं। अभियान के दौरान कई शीर्ष स्तर के माओवादी कैडर या तो मारे गए हैं अथवा गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इसी पहाड़ी से माओवादियों का केंद्रीय संगठन छत्तीसगढ़ में माओवादी गतिविधियां संचालित किया करता था। इस पहाड़ी पर पोलित ब्यूरो सदस्य बसव राजू, सेंट्रल कमेटी सदस्य बसव राव, गणपति, भूपति, देवजी, चंद्रन्ना, दामोदर, हिड़मा समेत बटालियन के 350 से अधिक माओवादियों की उपस्थिति की सूचना के बाद सुरक्षा बल की ओर से दो सप्ताह से निर्णायक लड़ाई जारी है। 10 हजार से अधिक जवान इस पहाड़ी को घेरे हुए हैं। बीते चार माह में बस्तर संभाग में हुए मुठभेड़ों में अब तक 147 हार्डकोर नक्सलियों के शव बरामद किए गए हैं।