विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में चीन और भारत के बीच हालिया रिश्तों की जानकारी सदन को दी। जयशंकर ने साफ किया कि पूर्वी लद्दाख के इलाकों में डिसइंगेजमेंट पूरी तरह हो चुका है। दोनों देश आगे तनाव न हो इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन एलएसी पर सीमा विवाद खत्म करने के लिए दशकों से बात कर रहे हैं। मई-जून 2020 में चीन ने एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की थी। भारतीय सैनिकों को पेट्रोलिंग में दिक्कत आई थी। गलवान में हुए तनाव के बाद दोनों देशों के बीच तनातनी काफी बढ़ गई और भारत ने भी एलएसी पर बड़ी संख्या में हथियार और सैनिकों की तैनाती की थी। विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पर नई स्थिति में सामान्य चीजें नहीं हो सकती हैं, जैसा पहला हुआ करता था। सरकार ने कहा है कि भारत-चीन रिश्ते तब तक सामान्य नहीं हो सकते, जब तक सीमा पर हालात सामान्य न हो जाएं। हमने पहले से ज्यादा सख्ती बरती और साफ कर दिया कि शांति और समझौता के बिनाह पर ही हमारे आपसी रिश्ते बेहतर होने की गारंटी हैं।
नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा
विदेश मंत्री ने कहा कि ईस्टर्न लद्दाख और डेमचोक में भी डिसइंगेजमेंट पूरी तरह पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि अब तनाव को कम करने के मुद्दे पर बातचीत हो रही है। ऊंचाई वाले इलाकों में नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। हम अपने सैनिकों की मदद के लिए तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि चीन के साथ हमारे रिश्ते आगे बढ़े हैं। पिछली घटनाओं के कारण रिश्ते अभी उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाए हैं, जैसा पहले थे। आने वाले दिनों में हम चीन के साथ आगे विवाद न हो, इसपर चर्चा करेंगे। जयशंकर ने कहा कि अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए हम बात करेंगे।
आगे से न हो ऐसी घटना
जयशंकर ने कहा कि 1991 में दोनों देश एलएसी पर शांति के लिए सहमत हो गए थे। 1993 में एलएसी पर शांति बहाल करने पर सहमति जारी रखी गई। समझौतों का जिक्र दोनों देशों के बीच हुई बातों को याद दिलाना है। भारत के सैनिकों की तैनाती के बाद इस तैयारी के साथ किया गया था कि आगे कोई और घटना नहीं हो।