हरियाणा में 10 साल सत्ता में रहने के बाद और राज्य का सर्वोसर्वा होने के बाद भी भाजपा के पोस्टरों में मनोहर लाल खट्टर नहीं हैं। हरियाणा में एंटी इन्कंबेंसी के चलते भाजपा ने ये रणनीति अपनाई है। बिलबोर्ड और ऑनलाइन दोनों जगह बीजेपी के पोस्टरों से खट्टर गायब हैं। ऐसे में यह साफ है कि पार्टी को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। अप्रैल-मई के आम चुनावों में बीजेपी सभी 10 लोकसभा सीटों से गिरकर 5 पर आ गई। अब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर पहले बड़े चुनाव हैं। ऐसे में हरियाणा में सत्ता बनाए रखने के लिए चुनावों में सत्ता विरोधी लहर के प्रभाव को कम करने के लिए पार्टी को फिर से रणनीति बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
योजनाओं पर है फोकस
चुनाव से ठीक पहले कुरुक्षेत्र के सांसद और राज्य इकाई के प्रमुख सैनी को लाकर बीजेपी ने नेतृत्व परिवर्तन किया। उसके बाद से सैनी सरकार ने कल्याणकारी नीतियों को आगे बढ़ाया है। सबसे पहले उन्होंने ‘हैप्पी कार्ड’ लॉन्च किया। 1 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले परिवारों के सदस्यों को सालाना 1,000 किमी तक की मुफ्त बस यात्रा की सुविधा दी जा रही है। इस योजना का विज्ञापन करने वाले एक पोस्टर पर लिखा है कि यह है हमें मुफ्त बस यात्रा कराने वाली सरकार और इस पोस्टर पर सबसे बड़े चेहरे एक परिवार के हैं।
ऐसी ही रणनीति की जरूरत
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि हम समझते हैं कि 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद कुछ हद तक सत्ता विरोधी लहर पैदा हो गई है। सीएम का चेहरा बदलने और अपनी रणनीति बदलने की जरूरत थी। जमीनी रिपोर्ट ने इस आकलन का समर्थन किया है। बीजेपी की ओर से प्रस्तावित नई योजनाओं को भी अभियान में प्रमुखता मिली है। लाडो लक्ष्मी (बीपीएल परिवारों की महिलाओं के लिए 2,100 रुपये) और हर जिले में ओलंपिक खेलों की नर्सरी। हालांकि नेताओं का यह भी मानना है कि जो भी विकास कार्य हुए, कम से कम गुडग़ांव में वे 2014-2019 तक हुए हैं।