उप्र के हाथरस में हुई 116 मौतों के बाद भोले बाबा चर्चाओं में आ गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह भोले बाबा कौन है, जिसके प्रवचन सुनने के लिए 50 हजार से अधिक लोग पहुंचे थे। फिर यहां ऐसी भगदड़ मची कि हर तरफ लाशें ही लाशें नजर आईं। दरअसल पटियाली के गांव बहादुर नगर में सूरज पाल का जन्म हुआ था। पढ़ाई के बाद वह पुलिस में चला गया और सिपाही बन गया। 1999 में उसने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और पटियाली गांव में आकर छोटा सा आश्रम बना लिया। उसे इस आश्रम में अपना नाम साकार विश्व हरि बताया और प्रवचन शुरू कर दिए। वह खुद को भोले बाबा का अवतार बताता था और पत्नी को माता पार्वती का अवतार बताने लगा था। लोग भी उसके झांसे में आते और देखते ही देखते यहां भीड़ लगने लगी।
ब्रह्मांड में सदा जय-जयकार हो
पटियाली के लोगों का कहना है कि सूरजपाल ने गांव में आकर आश्रम बनाया और स्वयंभू भोलेबाबा बन गया। उसने साकार विश्वहरि की संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा जय-जयकार हो के नारे लगवाने शुरू करा दिए। आश्रम में आने वाले लोग इसी ध्येय वाक्य को लेकर जय-जयकार करते थे। यहीं से उसकी दुकान चल निकली। वह लोगों को झांसा देकर कहता था कि वह भोले बाबा का अवतार है और उसकी पत्नी मां पार्वती का रूप है।
खुद को दिखाता था सबसे अलग
भोले बाबा बाकी बाबाओं की तरह भगवा वस्त्र नहीं पहनता था। वह प्रवचन के दौरान भोले बाबा सफेद सूट, सफेद पैंट, टाई और काले रंग के जूते पहनकर पहुंचता था। प्रवचन देते समय वह सोफ पर बैठता था और उसकी पत्नी भी साथ होती थी। अनुयायी उसे माताश्री के नाम से पुकारते थे। दोनों की प्रसिद्धि बढ़ती गई तो छोटा सा आश्रम भी 20 बीघा जमीन में फैल गया। अनुयायी बढ़ते और उप्र ही नहीं, राजस्थान और मध्यप्रदेश से भी अनुयायी आने लगे। उसने मैनपुरी के विछवां गांव में भी आश्रम बना लिया।