बॉलीवुड के महानतम अभिनेताओं में गिने जाने वाले, ‘ही-मैन’ के नाम से मशहूर धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं रहे। लगभग छह दशकों तक हिंदी सिनेमा पर राज करने वाले इस दिग्गज अभिनेता ने 89 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। पंजाब के एक साधारण गाँव से आकर, धर्मेंद्र सिंह देओल ने अपनी दमदार शख्सियत, मासूमियत और ज़बरदस्त अभिनय प्रतिभा के दम पर करोड़ों दिलों में अपनी जगह बनाई।
करियर की शुरुआत और ‘ही-मैन’ का उदय
- धर्मेंद्र ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1960 में फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से की थी।
- शुरुआत में, उन्होंने ‘बंदिनी’ (1963), ‘पूजा के फूल’ (1964), ‘काजल’ (1965), और ‘अनपमा’ (1966) जैसी फिल्मों में अपने संजीदा और रोमांटिक किरदारों से पहचान बनाई।
- उन्हें असली स्टारडम 1966 में आई फिल्म ‘फूल और पत्थर’ से मिला, जिसने उन्हें एक्शन हीरो के रूप में स्थापित किया। इस फिल्म के बाद ही उन्हें ‘ही-मैन’ का खिताब मिला।
एक्शन, कॉमेडी और रोमांस का संगम
धर्मेंद्र ने अपने करियर में हर तरह के किरदार निभाए, जिसने उन्हें एक वर्सटाइल (बहुमुखी) अभिनेता बनाया।
| दशक | प्रमुख फ़िल्में | किरदार का प्रकार |
| 1970 का दशक | शोले, सीता और गीता, चुपके-चुपके, धरम-वीर, मेरा गाँव मेरा देश, जुगनू, यादों की बारात, प्रतिज्ञा | एक्शन, रोमांटिक, कॉमेडी |
| 1980 का दशक | हुकूमत, नौकर बीवी का, आग ही आग, इंसाफ़ कौन करेगा | एक्शन, कॉमेडी |
| 2000 के बाद | लाइफ इन ए… मेट्रो, अपने, यमला पगला दीवाना (सीरीज), रॉकी और रानी की प्रेम कहानी | चरित्र भूमिकाएँ, कॉमेडी ड्रामा |
‘शोले’ का वीरू: एक अमर किरदार
1975 में आई रमेश सिप्पी की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शोले’ में उनका वीरू का किरदार आज भी भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित किरदारों में से एक है। अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी और ‘बसन्ती’ (हेमा मालिनी) के साथ उनका रोमांटिक अंदाज़ दशकों तक याद रखा जाएगा।
कॉमेडी में महारत
‘चुपके-चुपके’ और ‘नौकर बीवी का’ जैसी फिल्मों में उनकी कॉमिक टाइमिंग ने उन्हें बेहतरीन कॉमेडी अभिनेता भी साबित किया।
सम्मान और पुरस्कार
उनके सिनेमाई योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से नवाज़ा गया:
- पद्म भूषण (2012): भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
- फ़िल्मफ़ेयर लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवार्ड (1997): हिंदी सिनेमा में उनके अतुलनीय योगदान के लिए।
- राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (1990): बतौर निर्माता, फिल्म ‘घायल’ (सनी देओल अभिनीत) के लिए सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का पुरस्कार मिला।
धर्मेंद्र: पारिवारिक जीवन और राजनीतिक करियर
दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का जीवन सिनेमा की तरह ही रंगीन और विविध रहा है, जिसमें उनका जटिल पारिवारिक जीवन और उनका संक्षिप्त राजनीतिक सफर शामिल है।
राजनीतिक करियर
धर्मेंद्र ने बहुत देर से राजनीति में प्रवेश किया, लेकिन उनकी लोकप्रियता ने उन्हें बड़ी जीत दिलाई।
- राजनीतिक दल: उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर चुनाव लड़ा।
- चुनाव क्षेत्र: वह 2004 के लोकसभा चुनावों में राजस्थान की बीकानेर सीट से सांसद चुने गए थे।
- संसद में उपस्थिति: हालांकि, राजनीति में उनका कार्यकाल बहुत लंबा या सक्रिय नहीं रहा। उनकी संसद में उपस्थिति बहुत कम थी, जिसे लेकर मीडिया में अक्सर उनकी आलोचना भी होती थी।
- राजनीति से दूरी: 2009 में, उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली। हालांकि, उनका बेटा सनी देओल बाद में 2019 में गुरदासपुर से सांसद बने।
पारिवारिक जीवन
धर्मेंद्र का निजी जीवन काफी चर्चा में रहा, खासकर उनकी दो शादियों के कारण।
- उनकी पहली शादी बहुत कम उम्र में, 1954 में, प्रकाश कौर से हुई थी।
- इस शादी से उन्हें चार बच्चे हुए: दो बेटे सनी देओल और बॉबी देओल (दोनों अभिनेता हैं) और दो बेटियाँ विजेता और अजीता।
- प्रकाश कौर ने हमेशा सार्वजनिक जीवन से दूरी बनाए रखी।
- 1970 के दशक में, फिल्म ‘शोले’ की शूटिंग के दौरान उन्हें अभिनेत्री हेमा मालिनी से प्यार हो गया।
- धर्मेंद्र की पहली पत्नी से तलाक नहीं हुआ था, इसलिए उन्होंने 1980 में इस्लाम धर्म अपनाने के बाद हेमा मालिनी से शादी की।
- इस शादी से उनकी दो बेटियाँ हुईं: ईशा देओल और अहाना देओल (दोनों ही फिल्मों में सक्रिय रही हैं)।
धर्मेंद्र का छह दशक का करियर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा, लेकिन अपनी अभिनय प्रतिभा और ज़बरदस्त लोकप्रियता के कारण वह हमेशा ‘गर्म धरम’ के रूप में करोड़ों दर्शकों के दिल में ज़िंदा रहेंगे।


