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    42 करोड़ का हाटकेश्वर ब्रिज 5 साल में जर्जर, उपयोग के लिए असुरक्षित घोषित

    गुजरात के अहमदाबाद में 42 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ हाटकेश्वर ब्रिज महज 5 साल में ही जर्जर होकर गिर जाने की कगार पर पहुंच गया है, जिसने निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों को फिर से हवा दे दी है। यह पुल अब उपयोग के लिए असुरक्षित घोषित कर दिया गया है और इसे तोड़ने का काम शुरू होने वाला है, जिस पर लगभग 3.9 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

    यह ब्रिज 2017 में बनकर तैयार हुआ था और इसे बनाने वाली कंपनी अजय इन्फ्रा ने दावा किया था कि इसकी आयु 100 साल की होगी। हालांकि, 2022 तक आते-आते पुल की स्थिति इतनी खराब हो गई कि इसे वाहनों की आवाजाही के लिए बंद करना पड़ा। तकनीकी विशेषज्ञों की रिपोर्ट में पुल के बीच के छह स्पैन को बेहद कमजोर बताया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पुल की गुणवत्ता में गंभीर समझौता किया गया था।

    विपक्षी दलों और स्थानीय लोगों ने इस मामले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि 42 करोड़ रुपये की लागत से बना पुल अगर सिर्फ पांच साल में ही जर्जर हो जाए, तो यह साफ तौर पर बताता है कि निर्माण में खराब गुणवत्ता वाली सामग्री का इस्तेमाल किया गया और नियमों की अनदेखी की गई। इस घटना को अहमदाबाद नगर निगम (AMC) में चल रहे भ्रष्टाचार का एक बड़ा उदाहरण बताया जा रहा है।

    अहमदाबाद नगर निगम ने अब इस पुल को ध्वस्त करने का निर्णय लिया है और इसके लिए टेंडर भी जारी किए गए हैं। हालांकि, पुल को तोड़ने का खर्च भी लगभग 3.9 करोड़ रुपये आएगा, जिसे निगम पुल बनाने वाली कंपनी से वसूलने की बात कह रहा है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या केवल लागत वसूलने से इस बड़ी लापरवाही और जनता के पैसे की बर्बादी की भरपाई हो पाएगी?

    इस घटना ने सार्वजनिक परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता की मांग है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषी अधिकारियों व कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

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