पंजाब और हरियाणा सरकार के बीच सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) का विवाद चल रहा है। वहीं राज्य सरकार का मानना है कि एसवाईएल हरियाणा का हक है और इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल हर संभव कदम उठा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पुरजोर तरीके से पैरवी करने के बाद अब मुख्यमंत्री चंडीगढ़ में होने वाली बैठक में भाग लेंगे। बताया कि गया इस बैठक में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी शामिल होंगे।
पंजाब से सहयोग की जताई उम्मीद
हरियाणा सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि खट्टर ने कुछ समय पहले पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। उन्होंने एसवाईएल नहर के निर्माण में आने वाली किसी भी बाधा या मुद्दे को हल करने की अपील की थी। हरियाणा 1996 की डिक्री के अनुसार पंजाब के हिस्से में एसवाईएल नहर के निर्माण के शीघ्र पूरा होने की प्रतीक्षा कर रहा है। हरियाणा ने उम्मीद जताई है की पंजाब सरकार निश्चित रूप से इस मामले को हल करने में अपना सहयोग देगी।
हरियाणा को हो रहा नुकसान
राज्य सरकार का कहना है कि एसवाईएल के न बनने से हरियाणा को हिस्से का पानी नहीं मिल रहा, जिसकी वजह से 10 लाख एकड़ क्षेत्र असिंचित पड़ा है। हरियाणा को प्रतिवर्ष 42 लाख टन खाद्यान्नों की भी हानि उठानी पड़ती है। 1981 के समझौते के अनुसार एसवाईएल बन जाती तो हरियाणा 130 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्न व दूसरे अनाज का उत्पादन करता। सरकार का कहना है कि इससे उसे 19,500 करोड़ रुपये मिलते।
सतलुज-यमुना लिंक नहर पर हरियाणा का हक.. सीएम मनोहर लाल उठा रहे हरसंभव कदम
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