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    ​देश छोड़कर जाने वाले थे हार्दिक सिंह, चाचा ने रोका, अब मिलेगा खेल रत्न अवॉर्ड?

    भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मिडफील्ड के ‘इंजन’ कहे जाने वाले हार्दिक सिंह को देश के सर्वोच्च खेल सम्मान ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न’ के लिए चुना गया है। 24 दिसंबर 2025 को चयन समिति ने इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए उनके नाम की सिफारिश की। पिछले दो ओलंपिक (टोक्यो और पेरिस) में भारत को ब्रॉन्ज मेडल जिताने में उनकी भूमिका बेमिसाल रही है।

    हॉकी के ‘रॉयल’ परिवार से ताल्लुक

    ​हार्दिक सिंह के लिए हॉकी सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि उनकी विरासत है। पंजाब के जालंधर जिले के खुसरोपुर गांव के रहने वाले हार्दिक अपनी फैमिली की पांचवीं पीढ़ी के हॉकी खिलाड़ी हैं:

    • दादा (प्रीतम सिंह राय): भारतीय नौसेना में हॉकी कोच रहे और हार्दिक के पहले गुरु बने।
    • पिता (वरिंदरप्रीत सिंह राय): खुद एक अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी रहे हैं।
    • चाचा (गुरमैल सिंह): 1980 मॉस्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थे।
    • चाची (राजबीर कौर): भारतीय महिला हॉकी की दिग्गज खिलाड़ी रही हैं।
    • मेंटर (जुगराज सिंह): मशहूर ड्रैग-फ्लिकर जुगराज सिंह उनके चाचा और गुरु हैं।

    ​आज भले ही हार्दिक दुनिया के बेहतरीन मिडफील्डर्स में गिने जाते हैं, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब उन्होंने भारत छोड़कर नीदरलैंड बसने का मन बना लिया था। 18 साल की उम्र में जब उन्हें भारतीय टीम में मौके नहीं मिल रहे थे, तो वे निराश हो गए थे। तब उनके चाचा जुगराज सिंह ने उन्हें रोका और मेहनत जारी रखने की सलाह दी।

    करियर की बड़ी उपलब्धियां

    ​हार्दिक ने 2018 में डेब्यू किया और बहुत कम समय में टीम के उप-कप्तान बने। उनकी कुछ बड़ी उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

    • दो ओलंपिक मेडल: टोक्यो 2020 और पेरिस 2024 में ब्रॉन्ज मेडल।
    • एशियन गेम्स: 2023 (हांगझू) में गोल्ड मेडल।
    • एशिया कप 2025: हाल ही में राजगीर में हुए एशिया कप में टीम को गोल्ड जिताया।
    • FIH प्लेयर ऑफ द ईयर: साल 2023 में उन्हें दुनिया का सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ी चुना गया।
    • अर्जुन अवॉर्ड: साल 2021 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

    क्यों मिला खेल रत्न?

    ​हार्दिक सिंह मैदान पर अपनी रफ्तार और पासिंग के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अब तक भारत के लिए 166 मैच खेले हैं। चयन समिति ने विशेष रूप से पिछले दो वर्षों में उनके निरंतर प्रदर्शन और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए यह फैसला लिया। वह छठे ऐसे हॉकी खिलाड़ी होंगे जिन्हें खेल रत्न से नवाजा जाएगा।

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