सुपर्ण वर्मा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘हक’ (HAQ), 1980 के दशक के शाहबानो मामले से प्रेरित एक मज़बूत कोर्टरूम ड्रामा है। यह फिल्म मुस्लिम महिलाओं को तलाक के बाद गुजारा भत्ता (Maintenance) दिए जाने के संवैधानिक ‘हक’ की लड़ाई को बड़ी संजीदगी से पर्दे पर उतारती है। फिल्म में यामी गौतम धर और इमरान हाशमी ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं।
कहानी: एक महिला का न्याय के लिए संघर्ष
फिल्म की कहानी 60 के दशक में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे में शुरू होती है।
- मशहूर वकील अहमद खान (इमरान हाशमी) और शाजिया बानो (यामी गौतम धर) निकाह करते हैं और उनके तीन बच्चे होते हैं। कुछ समय बाद, अहमद खान अपनी पहली प्रेमिका सायरा (वर्तिका सिंह) के पति के निधन की खबर सुनकर, शाजिया को बिना बताए उससे दूसरा निकाह करके घर ले आता है।
- नई बेगम के आने से शाजिया का घर में रहना मुश्किल हो जाता है और वह बच्चों के साथ मायके चली जाती है। कुछ समय बाद अहमद उसे खर्च (गुजारा भत्ता) देना बंद कर देता है, और जब शाजिया अपने हक की मांग करती है, तो अहमद उसे तीन तलाक देकर संबंध तोड़ लेता है।
- धार्मिक अदालतों से निराश होने के बाद, शाजिया अपने पिता की मदद से जिला अदालत में गुजारे भत्ते का मुकदमा दायर करती है। लंबी कानूनी लड़ाई जिला अदालत से शुरू होकर हाई कोर्ट के रास्ते देश की सबसे बड़ी अदालत, सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचती है।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला न केवल शाजिया, बल्कि हजारों अन्य मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी बदल देता है। यह फिल्म शाजिया के इस अकेले संघर्ष और समाज से जूझती एक महिला की दर्दभरी कहानी को दर्शाती है।
निर्देशन और अभिनय
- निर्देशक सुपर्ण वर्मा ने इस संवेदनशील और दर्दभरी कहानी को बहुत ही संजीदगी से पर्दे पर उतारा है। भले ही कहानी का अंत दर्शकों को पहले से पता हो, फिर भी सुपर्ण वर्मा कोर्टरूम की जबरदस्त बहसों और समाज के दबाव को दिखाकर दर्शकों की उत्सुकता बनाए रखने में सफल रहे हैं। उन्होंने पीरियड ड्रामा के हिसाब से 60 और 80 के दशक के माहौल को बखूबी कैप्चर किया है।
- यामी ने पीड़ित पत्नी और न्याय के लिए लड़ने वाली महिला शाजिया के किरदार को जिया है। एक पीड़ित महिला का दर्दभरा और दृढ़ संकल्प वाला अंदाज़ उनके अभिनय में स्पष्ट झलकता है।
- इमरान हाशमी ने अरसे बाद दमदार अभिनय किया है। एक वकील और दो पत्नियों वाले शौहर के रूप में उनका प्रदर्शन सधा हुआ है, खासकर कोर्टरूम सीन्स में उनका अभिनय काफी जंचता है।
- फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और कैमरा वर्क सुंदर है। डायलॉग्स और बैकग्राउंड स्कोर कहानी के अनुरूप हैं और भावनात्मक दृश्यों को मजबूत बनाते हैं।
अंतिम फैसला
यह फिल्म उन सभी दर्शकों के लिए है जिन्हें कोर्टरूम ड्रामा वाली फिल्में पसंद हैं और जो सामाजिक-कानूनी मुद्दों पर बनी फिल्में देखना चाहते हैं। अगर आप इमरान हाशमी और यामी गौतम धर के फैन हैं, तो ‘हक’ आपके लिए एक अच्छा विकल्प है।


