अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) ने H-1B वीज़ा आवेदकों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें एक लाख अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त फीस चुकानी पड़ सकती थी। USCIS ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि यह भारी फीस कुछ विशिष्ट प्रकार के आवेदनों पर लागू नहीं होगी।
किसे नहीं चुकानी होगी 1 लाख डॉलर की फीस?
USCIS की नई गाइडलाइंस के अनुसार, एक लाख डॉलर की अतिरिक्त फीस उन H-1B आवेदकों पर लागू नहीं होगी जो:
- स्टेटस में बदलाव (Change of Status) के लिए आवेदन कर रहे हैं: ऐसे आवेदक जो पहले से अमेरिका में किसी अन्य गैर-आप्रवासी दर्जे (जैसे F-1 छात्र वीज़ा) पर हैं और H-1B वीज़ा स्टेटस में बदलाव के लिए आवेदन कर रहे हैं, उन्हें यह फीस नहीं देनी होगी।
- वीज़ा विस्तार (Extension of Stay) के लिए आवेदन कर रहे हैं: जो H-1B धारक पहले से ही अमेरिका में हैं और अपने मौजूदा वीज़ा की अवधि बढ़ाने (विस्तार) के लिए आवेदन कर रहे हैं, उन्हें भी इस एक लाख डॉलर की फीस से छूट मिलेगी।
यह राहत मुख्य रूप से उन भारतीय आईटी पेशेवरों और अन्य विदेशी श्रमिकों को मिलेगी जो पहले से ही अमेरिका में रहकर अपने वीज़ा दर्जे को H-1B में बदलना चाहते हैं या अपने मौजूदा H-1B वीज़ा को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
शुल्क का उद्देश्य और पृष्ठभूमि:
एक लाख डॉलर का यह अतिरिक्त शुल्क, जिसे अमेरिकन कॉम्पिटिटिवनेस एंड वर्कफोर्स इम्प्रूवमेंट एक्ट (ACWIA) सरचार्ज या पब्लिक लॉ 114-113 सरचार्ज के रूप में जाना जाता है, कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में ही लागू होता है। यह फीस आमतौर पर उन कंपनियों पर लागू होती है जो बड़ी संख्या में विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करती हैं। इस फंड का उपयोग अमेरिकी कार्यबल को प्रशिक्षित करने और विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
USCIS ने स्पष्ट किया है कि यह नया मार्गदर्शन पारदर्शिता बढ़ाने और आवेदकों के बीच भ्रम को दूर करने के लिए जारी किया गया है। यह उन सभी H-1B आवेदकों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय राहत है जो अपने वीज़ा को बनाए रखने या बदलने की प्रक्रिया में हैं। इस कदम से खासकर भारतीय पेशेवरों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि H-1B वीज़ा के सबसे ज्यादा लाभार्थी भारतीय नागरिक ही होते हैं।