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    गुजरात: बीजेपी के गढ़ में आप की सेंध, विसावदर सीट पर दर्ज की बड़ी जीत

    भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के गढ़ माने जाने वाले गुजरात में आम आदमी पार्टी (आप) ने विसावदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में बड़ी जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया है। यह जीत ‘आप’ के लिए गुजरात में अपनी पैठ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, खासकर ऐसे समय में जब बीजेपी राज्य में मजबूत स्थिति में है। यह जीत ‘आप’ के लिए गुजरात में एक नई उम्मीद जगाती है और यह दर्शाता है कि पार्टी बीजेपी के किले में सेंध लगाने में सक्षम है। हालांकि, यह सिर्फ एक उपचुनाव की जीत है और 2027 के विधानसभा चुनावों में ‘आप’ को इससे कहीं ज्यादा मेहनत करनी होगी ताकि वह अपनी इस बढ़त को बरकरार रख सके।

    विसावदर सीट पर ‘आप’ की इस जीत के पीछे कई कारण रहे हैं, जो पार्टी की रणनीति और स्थानीय समीकरणों को दर्शाते हैं:

    1. एंटी-इनकंबेंसी और स्थानीय मुद्दे: बीजेपी राज्य और केंद्र दोनों में सत्ता में है, और कुछ हद तक सत्ता विरोधी लहर (एंटी-इनकंबेंसी) का फायदा ‘आप’ को मिला। स्थानीय मुद्दे जैसे कृषि संकट, बेरोजगारी और महंगाई ने मतदाताओं को पारंपरिक पार्टियों से हटकर सोचने पर मजबूर किया।
    2. सशक्त स्थानीय उम्मीदवार: ‘आप’ ने एक मजबूत और लोकप्रिय स्थानीय उम्मीदवार उतारा, जिसकी जनता के बीच अच्छी पकड़ थी। उम्मीदवार की छवि और उसके पिछले सामाजिक कार्यों ने मतदाताओं को आकर्षित किया।
    3. संगठनात्मक विस्तार और जमीनी कार्य: ‘आप’ ने गुजरात में पिछले कुछ समय से अपने संगठन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है। पार्टी ने घर-घर जाकर प्रचार किया और छोटे-छोटे गांवों तक अपनी पहुंच बनाई, जिससे जमीनी स्तर पर मतदाताओं से सीधा जुड़ाव बन सका।
    4. दिल्ली मॉडल का प्रभाव: ‘आप’ ने दिल्ली में अपनी सरकार द्वारा किए गए कार्यों, विशेषकर शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में, को प्रमुखता से उजागर किया। इस “दिल्ली मॉडल” ने गुजरात के शहरी और अर्ध-शहरी मतदाताओं के एक वर्ग को प्रभावित किया।
    5. युवा और नए मतदाताओं को आकर्षित करना: ‘आप’ ने सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रभावी ढंग से उपयोग किया, जिससे युवा और पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं को आकर्षित करने में मदद मिली। पार्टी ने पारंपरिक राजनीति से हटकर नए विचारों और भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे के साथ मतदाताओं को लुभाया।
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