जीएसटी परिषद की दो दिवसीय बैठक आज से शुरू हो रही है। इसमें जीएसटी सुधारों को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, जीएसटी 2.0 से कारोबारियों के अनुपालन बोझ में कमी आएगी। छोटे व्यवसायों के लिए फलना-फूलना आसान हो जाएगा। कुछ वस्तुओं की कीमतें कम होंगी, जबकि कुछ की बढ़ जाएंगी। इस बैठक का उद्देश्य जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना और कुछ वस्तुओं को महंगे लक्जरी सामानों की श्रेणी में लाना है।
क्या सस्ता हो सकता है?
इस बैठक में रोज़मर्रा की चीज़ों पर टैक्स कम होने की संभावना है। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिए हैं कि जीएसटी 2.0 से छोटे कारोबारियों को फायदा होगा और उनके लिए व्यापार करना आसान होगा।
किन चीज़ों पर बढ़ सकती है कीमत?
लक्जरी इलेक्ट्रिक वाहन (EV): इस बैठक में सबसे बड़ा बदलाव लक्जरी इलेक्ट्रिक कारों पर जीएसटी बढ़ाने का प्रस्ताव है।
- ₹20 लाख से ₹40 लाख तक की EV: इन पर जीएसटी की दर 5% से बढ़कर 18% हो सकती है।
- ₹40 लाख से ज़्यादा की EV: इन पर जीएसटी 28% तक हो सकता है, जो कि मौजूदा 5% से काफी ज़्यादा है।
यह बदलाव मुख्य रूप से टेस्ला, बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज-बेंज और बीवाईडी जैसी कंपनियों को प्रभावित करेगा, जो महंगी गाड़ियां बेचती हैं। इसके पीछे तर्क यह है कि ये गाड़ियां आयात की जाती हैं और उच्च वर्ग के लिए हैं। हालांकि, टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी घरेलू कंपनियां, जो ₹20 लाख से कम की गाड़ियां बनाती हैं, उन पर इसका असर नहीं पड़ेगा।
राज्यों को कैसे होगा फायदा?
जीएसटी दरों में बदलाव के बावजूद, राज्य सरकारों को भारी फायदा मिलेगा। एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी से राज्यों को चालू वित्त वर्ष में लगभग ₹10 लाख करोड़ मिलेंगे। इसके अलावा, कर हस्तांतरण के माध्यम से उन्हें ₹4.1 लाख करोड़ अतिरिक्त मिलेंगे।
जीएसटी में केंद्र और राज्य के बीच राजस्व का 50-50 बंटवारा होता है, और केंद्र अपने हिस्से का 41% राज्यों को वापस करता है, जिससे राज्यों को एकत्रित जीएसटी का लगभग 70% हिस्सा मिलता है। इस व्यवस्था से राज्यों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी।