जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड अब मुसीबतो में घिर रही है। सोनी ग्रुप के साथ मर्जर प्लान रद्द होने और सेबी की सख्ती के बाद अब कंपनी पर सरकार की निगरानी बढ़ गई है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने फंड डायवर्जन को लेकर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से विवरण मांगा है।
2000 करोड़ की गड़बड़ी का मामला
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, मीडिया रिपोर्ट में सेबी को 2,000 करोड़ रुपये (241 मिलियन डॉलर) से अधिक की गड़बड़ी का पता चला है। ऐसे में इसका विवरण मांगा गया है। जी एंटरटेनमेंट के मुख्य अधिकारियों द्वारा फंड डायवर्जन पर मंत्रालय की नजर है। अधिकारी के मुताबिक अगर जरूरत पड़ी, तो जी एंटरटेनमेंट के सीईओ पुनीत गोयनका को भी जांच में शामिल होने के लिए बुलाया जा सकता है।
बता दें कि कॉपोरेट मामलों का मंत्रालय साल 2019 से कॉर्पोरेट प्रशासन उल्लंघनों को लेकर जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज की जांच कर रहा है। मंत्रालय की जांच एस्सेल समूह की संबंचित पार्टियों के ऋणों के निपटान के लिए यस बैंक द्वारा 200 करोड़ रुपये की एफडी से जुड़े मामले में हो रही है। इसी मामले को लेकर नवंबर 2019 में जी एंटरटेनमेंट के स्वतंत्र निदेशकों सुनील कुमार और नेहारिका बोहरा ने बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था। इस दौरान कई गंभीर आरोप भी लगाए गए।
इस बीच, जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज ने कहा कि उसके निदेशक मंडल ने निवेशकों की संपत्ति में गिरावट को रोकने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश सतीश चंद्रा की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र सलाहकार समिति का गठन किया है। कंपनी ने कहा कि अटकलबाजी के चलते संपत्ति में गिरावट हुई, जिससे कंपनी को लेकर जनता की राय नकारात्मक हो गई। मीडिया रिपोर्ट में इस सप्ताह की शुरुआत में कहा गया था कि बाजार नियामक सेबी ने कंपनी के खातों में वित्तीय विसंगतियों पाई हैं। इसके लिए पुनीत गोयनका और सुभाष चंद्रा से पूछताछ भी हो सकती है। हालांकि, जी एंटरटेनमेंट ने जोर देकर कहा कि रिपोर्ट गलत और अटकलबाजी है।