नेपाल में ‘जेन-Z क्रांति’ में युवा भ्रष्टाचार और सरकार के फैसलों के खिलाफ मुखर हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर पाबंदी के विरोध में युवाओं के बीच प्रमुख नारे रहे “करप्शन बैन करो, कनेक्शन नहीं” और “सवाल पूछना गुनाह नहीं”। यह आंदोलन नेपाल के पारंपरिक राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव ला रहा है, जहां युवा पीढ़ी अब खुलकर अपनी बात रख रही है और सरकार से जवाबदेही की मांग कर रही है।
युवाओं के प्रदर्शन में पुलिस से हुई झड़पों में 20 लोगों की मौत हो गई और 347 घायल हो गए, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। यह घटना दिखाती है कि युवा अब सिर्फ सोशल मीडिया पर ही नहीं, बल्कि सड़कों पर भी अपनी मांगों को लेकर उतर रहे हैं। सरकार को अंततः सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटाना पड़ा और प्रधानमंत्री को भी बयान जारी कर दुख व्यक्त करना पड़ा।
नेपाल में चल रही यह उथल-पुथल सिर्फ एक देश की कहानी नहीं है, बल्कि भारत के कई पड़ोसी देशों में आर्थिक और सियासी अस्थिरता की एक व्यापक तस्वीर का हिस्सा है। भारत के 7 पड़ोसी देशों में से कई इस समय गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
पाकिस्तान: आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है, जहां महंगाई आसमान छू रही है और राजनीतिक नेतृत्व लगातार बदल रहा है।
श्रीलंका: पिछले साल भयंकर आर्थिक संकट से गुजर चुका है, जिससे वहां की सरकार को भी बदलना पड़ा था।
म्यांमार: सैन्य तख्तापलट के बाद से राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता बनी हुई है, जहां लोकतंत्र समर्थक आंदोलन लगातार जारी हैं।
बांग्लादेश: राजनीतिक ध्रुवीकरण और आगामी चुनावों को लेकर तनाव का माहौल है।
मालदीव : मालदीव में चीन का बढ़ता कर्ज और राजनीतिक प्रभाव एक चिंता का विषय है। वहीं, भूटान में राजनीतिक स्थिरता है, लेकिन यह भी आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे के सुदृढ़ीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से देश में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता अपने चरम पर है। 15 अगस्त, 2021 को तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद, देश की स्थिति पूरी तरह से बदल गई है।
चीन और नेपाल के बीच भी सीमा विवाद और भू-राजनीतिक दबाव एक बड़ा मुद्दा है। इन पड़ोसी देशों में चल रही अस्थिरता भारत के लिए भी चिंता का विषय है, क्योंकि इसका सीधा असर क्षेत्र की शांति और सुरक्षा पर पड़ता है। नेपाल की ‘जेन-Z क्रांति’ संकेत है कि जनता अब पुरानी राजनीति से आगे बढ़कर पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रही है।