आज कारगिल विजय दिवस है और यह दिन भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान का प्रतीक है। 1999 के कारगिल युद्ध के बाद से भारतीय सेना ने अपनी क्षमताओं में जबरदस्त बदलाव किया है। तब भारतीय सेना मुख्य रूप से बचाव की मुद्रा में थी, लेकिन अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों से पता चलता है कि वह आक्रामक रूप से दुश्मन को उसके घर में घुसकर जवाब देने में सक्षम है।
कारगिल युद्ध: सीमित क्षमताएं और दृढ़ संकल्प
1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने अदम्य साहस का परिचय दिया, लेकिन उसकी क्षमताएं आज के मुकाबले सीमित थीं। पैदल सेना के पास मुख्य रूप से INSAS राइफलें और ड्रैगुनोव स्नाइपर राइफलें थीं। तोपखाने में बोफोर्स तोपें और 105 मिमी फील्ड गन प्रमुख थीं। वायुसेना ने MiG-21, MiG-27 और मिराज-2000 जैसे विमानों का इस्तेमाल किया, जिनमें मिराज-2000 ने लेजर-गाइडेड बमों से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस समय निगरानी और सटीक निशाना लगाने की क्षमताएं आज जैसी उन्नत नहीं थीं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक का बदलाव: आक्रामक तेवर और अत्याधुनिक तकनीक
मई 2025 में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने भारतीय सेना की बदली हुई क्षमताओं और आक्रामक तेवरों को स्पष्ट रूप से दर्शाया। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर कई आतंकवादी ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। यह कार्रवाई, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के अनुसार, “न्यू नॉर्मल” का हिस्सा है, जहां भारत किसी भी आतंकी गतिविधि का करारा जवाब देगा।
प्रमुख बदलाव:
- पैदल सेना: अब पैदल सेना के पास SIG716i और AK-203 जैसी अधिक भरोसेमंद और आधुनिक राइफलें हैं।
- तोपखाना: धनुष होवित्ज़र, M777 अल्ट्रा-लाइट गन और K9 वज्र जैसे आधुनिक तोपखाने भारतीय सेना के बेड़े में शामिल हो चुके हैं, जो सटीक और घातक मारक क्षमता प्रदान करते हैं।
- ड्रोन प्रौद्योगिकी: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ड्रोन का व्यापक इस्तेमाल हुआ, जिससे पता चला कि ड्रोन अब सिर्फ निगरानी तक सीमित नहीं हैं बल्कि युद्ध में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। हर पैदल सेना बटालियन में अब एक ड्रोन प्लाटून होगी। ‘ड्रोन प्रहार’ जैसे अभ्यास भारतीय सेना की ड्रोन क्षमता को दर्शाते हैं।
- मिसाइल क्षमताएं: भारत की मिसाइल क्षमताएं भी कई गुना बढ़ गई हैं। जहां पहले मुख्य रूप से पृथ्वी और अग्नि जैसी मिसाइलें थीं, वहीं अब ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें और जल्द ही ब्रह्मोस-2K जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलें भारत को बेजोड़ शक्ति प्रदान करेंगी। भारत अब लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों (LRLACM) पर भी काम कर रहा है।
- खुफिया और AI: सेना अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का बड़े पैमाने पर उपयोग कर रही है, जिसमें ड्रोन, सैटेलाइट और अन्य सेंसर से मिली जानकारी को प्रोसेस करके तेजी से निर्णय लेना शामिल है।
- वायु रक्षा: भारतीय वायु रक्षा प्रणाली अब एक अभेद्य दीवार की तरह खड़ी है, जो दुश्मन के किसी भी मिसाइल या ड्रोन को भेदने में सक्षम है।
कारगिल से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक, भारतीय सेना ने रक्षा से लेकर आक्रामक क्षमताओं तक एक लंबा सफर तय किया है। यह बदलाव न केवल उपकरणों में हुआ है, बल्कि रणनीति और मानसिकता में भी आया है, जिससे भारतीय सेना आज दुनिया की सबसे शक्तिशाली और आधुनिक सेनाओं में से एक बन गई है।