राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) इस साल दशहरा के दिन अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर रहा है। इस ऐतिहासिक मौके को यादगार बनाने के लिए संघ ने नागपुर में होने वाले अपने वार्षिक विजयादशमी कार्यक्रम के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है। आरएसएस का यह कदम एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक संदेश माना जा रहा है।
संघ हमेशा से ही विजयादशमी को अपना स्थापना दिवस मनाता रहा है, क्योंकि 1925 में इसी दिन इसकी नींव रखी गई थी। संघ प्रमुख मोहन भागवत के अलावा, हर साल एक विशेष अतिथि को आमंत्रित किया जाता है। राम नाथ कोविंद को बुलाकर, संघ ने समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने की अपनी कोशिशों को और मजबूत किया है।
यह पहली बार नहीं है जब किसी पूर्व राष्ट्रपति को संघ के कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है। 2018 में, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग की पासिंग आउट परेड में शामिल हुए थे। उनके इस कदम पर देश में काफी राजनीतिक बहस छिड़ गई थी। कई राजनीतिक दलों ने मुखर्जी के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
प्रणब मुखर्जी के बाद अब राम नाथ कोविंद का इस कार्यक्रम में शामिल होना संघ के बढ़ते प्रभाव और स्वीकार्यता को दर्शाता है। यह दिखाता है कि संघ समाज के प्रमुख व्यक्तियों को अपने मंच पर लाने में सफल हो रहा है। कोविंद का मुख्य अतिथि बनना न केवल आरएसएस के शताब्दी समारोह की गरिमा बढ़ाएगा, बल्कि भारतीय राजनीति में भी इसका दूरगामी असर देखने को मिल सकता है।