सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ (अब रिटायर) के सरकारी बंगले को खाली न करने का मामला गरमा गया है। सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इस संबंध में केंद्र सरकार को एक आधिकारिक पत्र लिखा है, जिसमें इस मुद्दे को उठाने और उचित कार्रवाई का अनुरोध किया गया है।
नियमों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को रिटायरमेंट के बाद अपने सरकारी आवास को कुछ समय सीमा के भीतर खाली करना होता है। यह अवधि आमतौर पर एक महीने की होती है, जिसके बाद उन्हें बेदखली प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है। जस्टिस चंद्रचूड़, जो कुछ महीने पहले रिटायर हुए थे, अभी भी लुटियंस दिल्ली में अपने आवंटित बंगले में रह रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन का पत्र
सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखकर इस मामले पर ध्यान आकर्षित किया है। पत्र में कहा गया है कि बंगले को खाली नहीं करने के कारण अगले योग्य न्यायाधीश को आवास आवंटित करने में परेशानी हो रही है। यह भी बताया गया है कि पूर्व न्यायाधीश को नियमानुसार दिए गए अतिरिक्त समय सीमा के बाद भी बंगला खाली नहीं किया गया है।
सरकारी आवास के नियम
सरकारी आवास के आवंटन और खाली करने के संबंध में कड़े नियम हैं। ये नियम सुनिश्चित करते हैं कि रिटायर होने वाले अधिकारियों या न्यायाधीशों द्वारा आवास खाली करने में देरी न हो, ताकि नए अधिकारियों को दिक्कत न हो। आमतौर पर, रिटायर होने वाले व्यक्ति को एक निश्चित अवधि के लिए एक्सटेंशन दिया जा सकता है, लेकिन उसके बाद भी बंगला खाली न होने पर बेदखली की प्रक्रिया शुरू की जाती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
इस मामले में अभी तक पूर्व CJI चंद्रचूड़ की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट प्रशासन के बीच इस पत्राचार के बाद, यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई की जाती है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब सरकारी आवासों के दुरुपयोग और नियमों के उल्लंघन को लेकर पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं