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    रूस के लिए भारत ने अमेरिका से भी ले लिया पंगा.. जानें कितनी मजबूत है रिश्तों की डोर

    रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर अमेरिका का दबाव लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका चाहता है कि भारत न सिर्फ रूस से तेल आयात बंद करे, बल्कि यूक्रेन युद्ध को लेकर पुतिन सरकार का खुलकर विरोध भी करे। इसके जवाब में, भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी विशाल आबादी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ही तेल आयात कर रहा है।

    ​अमेरिका के ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि रूस से तेल खरीदकर भारत, रूस को आर्थिक मदद दे रहा है, जिससे यूक्रेन में युद्धविराम के अमेरिकी प्रयास बाधित हो रहे हैं। वहीं, भारत का तर्क है कि वह वैश्विक तेल की कीमतों को स्थिर रखने और अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठा रहा है। इस मुद्दे पर भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता गतिरोध साफ नजर आ रहा है।

    ​ऐसे में, यह सवाल उठता है कि क्या भारत अमेरिका के कहने पर रूस का साथ छोड़ देगा? इसका सीधा जवाब है – नहीं, भारत किसी भी बाहरी ताकत के दबाव में रूस के साथ अपनी दोस्ती को नहीं छोड़ेगा, खासकर अमेरिका के दबाव में तो बिलकुल नहीं।

    ​इसके पीछे कई ठोस कारण हैं। भारत और रूस की दोस्ती दशकों पुरानी है और हर मुश्किल समय में परखी गई है। भारत को हर संकट में रूस का साथ मिला है। चाहे वह 1971 का युद्ध हो या कश्मीर मुद्दा, रूस हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है। इसके विपरीत, आजादी के बाद से अधिकतर समय अमेरिका का रुख भारत के प्रति उदासीन या विरोधाभासी रहा है।

    ​हालांकि, पिछले 25 वर्षों में भारत-अमेरिका संबंधों में सुधार हुआ था, लेकिन अब ट्रंप के कार्यकाल में एक बार फिर दोनों देशों के रिश्तों में खटास आती दिख रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति न केवल भारत पर दबाव बना रहे हैं, बल्कि अन्य यूरोपीय देशों से भी भारत के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह कर रहे हैं। इन परिस्थितियों में, भारत का अपने पुराने और विश्वसनीय मित्र रूस के साथ खड़ा रहना उसकी विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

    रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर अमेरिका का दबाव लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका चाहता है कि भारत न सिर्फ रूस से तेल आयात बंद करे, बल्कि यूक्रेन युद्ध को लेकर पुतिन सरकार का खुलकर विरोध भी करे। इसके जवाब में, भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी विशाल आबादी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ही तेल आयात कर रहा है।

    ​अमेरिका के ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि रूस से तेल खरीदकर भारत, रूस को आर्थिक मदद दे रहा है, जिससे यूक्रेन में युद्धविराम के अमेरिकी प्रयास बाधित हो रहे हैं। वहीं, भारत का तर्क है कि वह वैश्विक तेल की कीमतों को स्थिर रखने और अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठा रहा है। इस मुद्दे पर भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता गतिरोध साफ नजर आ रहा है।

    ​ऐसे में, यह सवाल उठता है कि क्या भारत अमेरिका के कहने पर रूस का साथ छोड़ देगा? इसका सीधा जवाब है – नहीं, भारत किसी भी बाहरी ताकत के दबाव में रूस के साथ अपनी दोस्ती को नहीं छोड़ेगा, खासकर अमेरिका के दबाव में तो बिलकुल नहीं।

    ​इसके पीछे कई ठोस कारण हैं। भारत और रूस की दोस्ती दशकों पुरानी है और हर मुश्किल समय में परखी गई है। भारत को हर संकट में रूस का साथ मिला है। चाहे वह 1971 का युद्ध हो या कश्मीर मुद्दा, रूस हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है। इसके विपरीत, आजादी के बाद से अधिकतर समय अमेरिका का रुख भारत के प्रति उदासीन या विरोधाभासी रहा है।

    ​हालांकि, पिछले 25 वर्षों में भारत-अमेरिका संबंधों में सुधार हुआ था, लेकिन अब ट्रंप के कार्यकाल में एक बार फिर दोनों देशों के रिश्तों में खटास आती दिख रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति न केवल भारत पर दबाव बना रहे हैं, बल्कि अन्य यूरोपीय देशों से भी भारत के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह कर रहे हैं। इन परिस्थितियों में, भारत का अपने पुराने और विश्वसनीय मित्र रूस के साथ खड़ा रहना उसकी विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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