भारत ने दशकों पुराने सिंधु जल समझौते (Indus Waters Treaty) को लेकर एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। सूत्रों के अनुसार, सिंधु नदी प्रणाली की पूर्वी नदियों के पानी के अधिकतम उपयोग के लिए फाइनल एक्शन प्लान तैयार कर लिया गया है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत, 113 किलोमीटर लंबी एक नई नहर का निर्माण किया जाएगा, जिसके माध्यम से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान राज्यों को पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जाएगा। इस पहल को पाकिस्तान द्वारा समझौते के कथित उल्लंघनों के मद्देनजर उसकी ‘कुकर्मों की सजा’ के तौर पर भी देखा जा रहा है।
लंबे समय से पानी की कमी से जूझ रहे
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य भारत के हिस्से के पानी को पूरी तरह से उपयोग में लाना है, जिसे अब तक पाकिस्तान जाने दिया जा रहा था। भारत सरकार लंबे समय से यह आरोप लगाती रही है कि पाकिस्तान सिंधु जल समझौते के प्रावधानों का लगातार उल्लंघन कर रहा है और भारत के हिस्से के पानी को रोकने के उसके प्रयासों में बाधा डाल रहा है। नहर परियोजना से इन तीनों राज्यों में कृषि और पेयजल की गंभीर समस्या का समाधान होने की उम्मीद है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान लंबे समय से पानी की कमी से जूझ रहे हैं, और यह नई नहर इन क्षेत्रों में जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। अधिकारियों ने बताया कि परियोजना को तय समय-सीमा में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि जल्द से जल्द इसका लाभ किसानों और आम जनता तक पहुंच सके।
पाकिस्तान के लिए स्पष्ट संदेश
यह कदम पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अपने जल संसाधनों के उपयोग को लेकर गंभीर है और किसी भी प्रकार की बाधा को स्वीकार नहीं करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की ‘पानी के अधिकार’ की नीति को और मजबूत करेगा और पाकिस्तान पर सिंधु जल समझौते के तहत अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने के लिए दबाव डालेगा।