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    FATF ने पाकिस्तान को पहली बार माना आतंकवाद प्रायोजक, जानें क्या हैं इसके मायने

    फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में पहली बार “राज्य प्रायोजित आतंकवाद” को एक वैश्विक खतरे के रूप में स्वीकार किया है। यह भारत के लंबे समय से चले आ रहे इस दावे को पुष्ट करता है कि कुछ देश, विशेषकर पाकिस्तान, आतंकवादी संगठनों को वित्तीय और अन्य प्रकार का समर्थन प्रदान करते हैं। यह FATF की नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव है और इसके पाकिस्तान पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

    रिपोर्ट में सीधे तौर पर किसी देश का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि कुछ आतंकवादी संगठनों को “कई राष्ट्रीय सरकारों से वित्तीय और अन्य रूपों में समर्थन प्राप्त होता रहा है।” FATF ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे आतंकवादी समूहों द्वारा हवाला, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके धन जुटाने और भेजने के तरीकों का भी उल्लेख किया है।

    इस कदम के कई मायने हैं। सबसे पहले, यह भारत की स्थिति को मजबूत करता है, जो लगातार पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है। दूसरा, यह FATF को उन देशों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आधार प्रदान कर सकता है जो आतंकवाद को प्रायोजित करते हैं। पाकिस्तान पहले से ही FATF की ग्रे लिस्ट में रहा है, और इस नई रिपोर्ट के बाद उसके ब्लैक लिस्ट में जाने का खतरा बढ़ गया है, जिससे उसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सहायता प्राप्त करने में और भी मुश्किलें आ सकती हैं।

    FATF ने यह भी बताया है कि आतंकवादी गतिविधियों के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन भुगतान सेवाओं का दुरुपयोग बढ़ रहा है, जिसमें 2019 के पुलवामा हमले का भी जिक्र किया गया है। यह रिपोर्ट वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए एक मजबूत और एकजुट दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल देती है।

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