यह कहानी है संजय बी. की, जिन्होंने जीवन में कई बार असफलताओं का सामना किया, लेकिन हार नहीं मानी और एक सफल करियर हासिल किया। उनका यह प्रेरक सफर दिखाता है कि अगर आपमें सीखने और खुद को बदलने का दृढ़ संकल्प हो, तो मंजिलें बदली जा सकती हैं। उनकी यह कहानी साबित करती है कि पारंपरिक रास्तों पर सफलता न मिलने पर, नए दरवाजे खोलकर और खुद को नए कौशल से लैस करके शानदार सफलता हासिल की जा सकती है।
डॉक्टर बनने का सपना टूटा
संजय का पहला सपना डॉक्टर बनने का था। उन्होंने एमबीबीएस में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली कठिन परीक्षा NEET UG तीन बार दी, लेकिन हर बार सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट पाने के लिए आवश्यक कट-ऑफ मार्क्स हासिल करने में असफल रहे। इस असफलता ने उन्हें अपनी करियर की दिशा बदलने पर मजबूर कर दिया।
आर्थिक चुनौतियों के बीच बेचे क्रेडिट कार्ड
परिवार की आर्थिक स्थिति और अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए, संजय ने सिर्फ 18 साल की उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में कई तरह के काम किए, जिनमें टेलीसेल्स और क्रेडिट कार्ड बेचने के लक्ष्य पूरे करना शामिल था।
उन्होंने एसबीआई कार्ड्स, कोटक महिंद्रा बैंक और कैलिबर जैसी कंपनियों में काम किया। इस दौरान लगातार नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई जारी रखना उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। हालांकि, संजय का कहना है कि इस कठिन सफर ने उन्हें दबाव में चीजों को मैनेज करने और हालात के अनुसार खुद को ढालने की कला सिखाई, जो उनके पेशेवर जीवन में बहुत काम आई।
बिना JEE के IIT से मिली सफलता
NEET में असफल होने के बाद संजय ने एक नई राह चुनी। उन्होंने बिना JEE परीक्षा दिए, IIT मद्रास के ऑनलाइन BS (बैचलर ऑफ साइंस) प्रोग्राम में दाखिला लिया। यह प्रोग्राम किसी भी व्यक्ति को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया है, जिसमें कोई सख्त योग्यता की बाध्यता नहीं है।
- संजय ने इस ऑनलाइन कोर्स के माध्यम से Python, Java, SQL, मशीन लर्निंग, डेटा स्ट्रक्चर्स और एल्गोरिद्म जैसे महत्वपूर्ण तकनीकी कौशल सीखे।
- संजय के अनुसार, जब वह NEET में फेल हुए तो लोगों को लगा कि उनका करियर खत्म हो गया है, लेकिन IIT मद्रास BS प्रोग्राम की वजह से आज वह एक एसोसिएट डेटा साइंटिस्ट हैं और एक विदेशी कंपनी में लाखों का पैकेज प्राप्त कर रहे हैं।