प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में अमेरिका की यात्रा से लौटे हैं। इसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते में उतार-चढ़ाव आ रहा है। ट्रंप जहां टैरिफ के मुद्दे पर भारत के खिलाफ आक्रामक हैं तो भारत भी अब अमेरिका को झटका देने के मूड में है। जहां एक ओर डोनाल्ड ट्रंप भारत पर एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदी के लिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इस बीच भारत ने भी ट्रंप को झटका देने का मन बना लिया है। भारत ने रूस से एसयू-57 पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के अधिग्रहण को लेकर बातचीत शुरू कर दी है। इससे यह साफ हो गया है कि भारत किसी के दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है। मोदी सरकार और भारतीय सेना वही फैसला करेगी, जो देशहित में होगा।
ट्रंप को कड़ा संदेश
मॉस्को और दिल्ली के बीच एसयू-57 को लेकर बातचीत हुई है। इससे पहले भी एस-400 सिस्टम को लेकर भी दोनों देशों की डील चल रही है। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को अमेरिकी एडवांस फिफ्थ जेनरेशन लड़ाकू विमान एफ-35 का ऑफर दिया है। दरअसल चीन और पाकिस्तान लगातार अपनी वायुसेना को एडवांस बनाने के लिए काम कर रहे हैं। पाकिस्तान ने चीन से जे-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान खरीदने की भी घोषणा की है। ऐसे में भारत पर भी अपने बेड़े में स्टील्थ फाइटर जेट को शामिल करने का दबाव बढ़ गया है। इस बीच ट्रंप को भी भारत ने कड़ा संदेश दे दिया है कि वह अनुचित मांगों और दबाव के आगे नहीं झुकने वाला है।
अमेरिका से शर्त तो रूस से बिना शर्त डील
अभी दुनिया में सिर्फ तीन देशों अमेरिका, रूस और चीन के पास ही स्टील्थ फाइटर हैं। भारत और अमेरिका के बीच भले ही रणनीतिक संबंध बन चुके हों, लेकिन अभी भी दोनों देशों के बीच विश्वास भरा रिश्ता नहीं है। अलग-अलग मौकों पर अमेरिकी सांसद और सीनेटर्स विश्वास भरे रिश्ते की बहाली की बात कर चुके हैं। अगर अमेरिका भारत को एफ-35 देगा तो उस पर शर्तें होंगी, लेकिन रूस के साथ ऐसा नहीं है। वह अपने दोस्त भारत पर अनुचित शर्तें नहीं थोपता है। इसका उदाहरण ब्रह्मोस मिसाइल है, जिसकी तकनीक रूस ने भारत से साझा की है। ऐसे में भारत अपने दोस्त के साथ ही डील करने का प्रयास करेगा।