अग्रोहा टीले की खुदाई का शुभारंभ 25 मार्च को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के हाथों किया जाएगा। पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरातत्व संस्थान ग्रेटर नोएडा के 15 छात्रों का एक दल भी खुदाई कार्य के अध्ययन के लिए पहुंच गया है। अग्रोहा टीले की खोदाई का काम चौथी बार शुरू होने जा रहा है। इससे पहले 1888-89,1938-39,1978-79 में खुदाई का काम हो चुका है। पुरातत्व विभाग चंडीगढ़ सर्कल की निर्देशक पुरातत्वविद कामेई अथेलियू काबोई ने कहा कि विभाग पुरातात्विक स्थलों की सुरक्षा करने की कोशिश कर रहा है। उप निदेशक बनानी भट्टाचार्य के नेतृत्व में 15 सदस्यों की टीम ने 12 मार्च को नारियल फोडक़र भूमि पूजन किया था। चार दिन खुदाई के बाद आधुनिक मशीनों के इंतजार में काम को अस्थायी तौर पर रोक दिया गया था, जो अब फिर शुरू होने वाला है।
खुदाई में यह निकला
टीले की खुदाई में मिट्टी के खिलौनेनुमा वस्तु, कुल्हड़, मिट्टी के ढक्कन, सिलबट्टे नुमा पत्थर, मिट्टी के छोटे गोल बर्तन, मिट्टी के गोल मनके आदि मिले हैं। ये वस्तुएं किस काल की हैं, यह जानने के लिए जांच के लिए भेजा गया है। यहां महलनुमा भवन की सीढिय़ां भी निकल रही हैं जिसकी खुदाई चल रही है। इन वस्तुओं को रखने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 9 पर अग्रोहा टीले से करीब एक किलोमीटर दूर अग्र विभूति स्मारक के समीप छह एकड़ जमीन पर म्यूजियम बनाया जाएगा। जमीन चिन्हित की जा चुकी है। अग्रोहा धाम के टीले की खुदाई का कार्य करने के लिए सरकार ने एमओयू किया है।
अंग्रेजी शासन में दो बार हो चुकी खुदाई
टीले की खुदाई का काम अंग्रेजों के शासनकाल में 1888-89 के दौरान हुआ था। 1938-39 में दोबारा खुदाई हुई थी जिसमें चांदी के सिक्के, मोहरें, पत्थर की मूर्ति, लोहे, तांबे के उपकार, कीमती पत्थर मिले थे। उस समय करीब सात हजार कलाकृतियां मिली थीं। तीसरी बार 1978-79 में खोदाई हुई थी। विभाग का उद्देश्य हरियाणा के पुरातात्विक स्थलों को शोध और पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित करना है।