पूर्वी अफ्रीकी देश इथियोपिया में स्थित हायली गुब्बी (Hayli Gubbi) ज्वालामुखी में हुए एक बड़े विस्फोट के बाद निकली राख का विशाल गुबार अब भारत की ओर बढ़ रहा है। यह ज्वालामुखी लगभग 10,000 से 12,000 सालों में पहली बार फटा है, जिससे निकली राख की मोटी परत ने अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात को प्रभावित किया है।
भारत में पहुंचा राख का बादल
- गति और क्षेत्र: उपग्रह आकलन के अनुसार, ज्वालामुखी की राख और सल्फर डाइऑक्साइड का यह गुबार लाल सागर को पार करते हुए 100 से 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भारत की ओर बढ़ा है। यह गुबार 15,000 से 45,000 फीट तक की अत्यधिक ऊंचाई पर फैल रहा है।
- प्रभावित राज्य: यह राख का बादल सबसे पहले पश्चिमी भारत में गुजरात और राजस्थान के ऊपर से भारतीय वायुक्षेत्र में दाखिल हुआ। देर रात तक, इसका असर दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों में भी दिखाई दिया।
- जमीन पर असर: मौसम विभाग (IMD) का कहना है कि राख की अत्यधिक ऊंचाई के कारण जमीन पर वायु गुणवत्ता (Air Quality) पर इसका कोई बड़ा असर पड़ने की आशंका कम है। हालांकि, आसमान कुछ समय के लिए धुंधला या बादलों जैसा दिख सकता है।
उड़ानों पर पड़ा असर
ज्वालामुखी की राख विमानों के इंजन और विजिबिलिटी के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है। इसी खतरे को देखते हुए कई एयरलाइंस ने अपनी उड़ानों को रद्द किया है या उनके मार्गों में बदलाव किया है।
- उड़ानें रद्द/डाइवर्ट: इंडिगो और अकासा एयर सहित कई एयरलाइंस ने राख गलियारे से गुजरने वाली अपनी कुछ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द कर दिया या उनके मार्ग बदले हैं।
DGCA की सुरक्षा एडवाइजरी
भारत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने सभी भारतीय एयरलाइंस और हवाई अड्डों के लिए तत्काल एक सुरक्षा एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में ज्वालामुखी राख से प्रभावित क्षेत्रों और उड़ान स्तरों से सख्ती से बचने का निर्देश दिया गया है। पायलटों से कहा गया है कि वे इंजन के किसी भी असामान्य व्यवहार या केबिन में किसी भी अजीब गंध की तुरंत रिपोर्ट करें। एयरलाइनों को अपने ‘ऑपरेशंस मैनुअल – वॉल्कैनिक ऐश’ में सूचीबद्ध ज्वालामुखी-राख प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है। DGCA और मौसम विभाग लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।


