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    शांति के लिए अत्याचारियों का अंत जरूरी; PM मोदी ने गीता का मूल भाव बताया

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को उडुपी (कर्नाटक) के ऐतिहासिक श्री कृष्ण मठ में एक लाख लोगों के साथ गीता के श्लोकों के सामूहिक पाठ (‘लक्ष कंठ गीता परायण’) में हिस्सा लिया। इस दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने भगवद्गीता के संदेश को आध्यात्मिक प्रेरणा के साथ-साथ राष्ट्रीय संकल्प और सुरक्षा नीति का मूल भाव बताया।प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने गीता का संदेश युद्ध की भूमि पर दिया था और भगवद्गीता हमें सिखाती है कि शांति और सत्य की स्थापना के लिए अत्याचारियों का अंत भी आवश्यक है।

    मिशन सुदर्शन चक्र

    उन्होंने इस संदेश को भारत की सुरक्षा नीति से जोड़ते हुए ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हम लाल किले से श्री कृष्ण का करुणा का संदेश भी देते हैं और उसी प्राचीर से मिशन सुदर्शन चक्र की उद्घोषणा भी करते हैं।” पीएम मोदी ने पिछली सरकारों पर पहलगाम आतंकी हमले जैसी घटनाओं पर ‘हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहने’ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “यह नया भारत है। यह ना किसी के आगे झुकता है और ना ही अपने नागरिकों की रक्षा के कर्तव्य से डिगता है।” उन्होंने कहा कि देश ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कार्रवाई में इस नए भारत का संकल्प देखा है।

    सुशासन का आधार: गीता के श्लोक

    पीएम मोदी ने बताया कि उनकी सरकार की नीतियाँ भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा, “आज हमारी ‘सबका साथ, सबका विकास, सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की नीतियाँ भगवान श्री कृष्ण के श्लोकों से प्रेरित हैं।” गीता में गरीबों की मदद करने का जो मंत्र दिया गया है, वही मंत्र आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं का आधार बनता है। उन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम (संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण) का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ही हमें नारी सुरक्षा, नारी सशक्तिकरण का ज्ञान देते हैं।

    उडुपी और भाजपा का संबंध

    पीएम मोदी ने उडुपी के श्री कृष्ण मठ की महत्ता बताते हुए कहा कि उडुपी जनसंघ और भाजपा के सुशासन (Good Governance) के मॉडल की कर्मभूमि रही है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन में उडुपी के संतों, खासकर श्री विश्वेश तीर्थ स्वामीजी, के मार्गदर्शन का पूरा देश आभारी है।

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