कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी को असहज स्थिति में डाल दिया है। उन्होंने 1975 में लगाए गए आपातकाल को लेकर कांग्रेस की तत्कालीन सरकार पर निशाना साधा है। थरूर ने साफ तौर पर कहा कि आपातकाल के दौरान “अनुशासन और व्यवस्था के नाम पर क्रूरता की गई” और “आजादी छीन ली गई।” उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस विपक्ष में है और लगातार सरकार पर लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने का आरोप लगा रही है।
शशि थरूर ने कहा, “आपातकाल एक ऐसा दौर था जब हमारे लोकतंत्र की मूल आत्मा को ही कुचलने का प्रयास किया गया। यह सिर्फ एक संवैधानिक आपातकाल नहीं था, बल्कि यह लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, उनके इकट्ठा होने के अधिकार और उनके जीवन जीने के अधिकार पर एक सीधा हमला था।” उन्होंने आगे कहा, “आपातकाल के नाम पर जो क्रूरता की गई, वह इतिहास के पन्नों में दर्ज है और हमें इसे कभी भूलना नहीं चाहिए।”
थरूर ने जोर देकर कहा कि भले ही उस समय की सरकार का तर्क देश में अनुशासन और व्यवस्था स्थापित करना था, लेकिन इसके लिए लोगों की बुनियादी आजादी को छीनना और विपक्ष के नेताओं को जेल में डालना पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और अनैतिक था। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस के लिए एक सबक है कि सत्ता में रहते हुए भी लोकतांत्रिक मर्यादाओं का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए।
यह पहली बार नहीं है जब शशि थरूर ने कांग्रेस की नीतियों या इतिहास पर सवाल उठाए हैं। उनके इस बयान को राजनीतिक गलियारों में गंभीरता से देखा जा रहा है। एक तरफ जहां भाजपा ने इस बयान को लेकर कांग्रेस पर हमला तेज कर दिया है, वहीं कांग्रेस के भीतर भी इस पर बहस छिड़ सकती है। थरूर का यह बयान दर्शाता है कि पार्टी के भीतर भी आपातकाल को लेकर अलग-अलग राय मौजूद है।