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    इलेक्टोरल ट्रस्ट से फंडिंग में भारी उछाल, BJP मालामाल, जानें बाकी का हाल

    चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) योजना के खत्म होने के बाद राजनीतिक दलों को चंदा देने के तरीकों में बड़ा बदलाव आया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और चुनाव आयोग के पास जमा की गई रिपोर्टों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में इलेक्टोरल ट्रस्ट के माध्यम से होने वाली फंडिंग में भारी उछाल देखा गया है।

    चंदे में 200% की भारी बढ़ोतरी

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा फरवरी 2024 में चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित किए जाने के बाद, पहले पूर्ण वित्तीय वर्ष (2024-25) में कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत दानदाताओं ने इलेक्टोरल ट्रस्ट का सहारा लिया है।

    • कुल चंदा: 9 प्रमुख चुनावी ट्रस्टों ने राजनीतिक दलों को कुल 3,811 करोड़ रुपये का दान दिया।
    • तुलना: यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2023-24 में मिले 1,218 करोड़ रुपये की तुलना में 200% से भी अधिक है।

    भाजपा को मिला सबसे बड़ा हिस्सा

    आंकड़ों के अनुसार, इलेक्टोरल ट्रस्ट के माध्यम से मिलने वाले कुल चंदे का सबसे बड़ा हिस्सा सत्ताधारी दल को मिला है:

    • भारतीय जनता पार्टी (BJP): भाजपा को कुल 3,811 करोड़ रुपये में से 3,112 करोड़ रुपये मिले हैं। यह कुल चंदे का लगभग 82 प्रतिशत है।
    • कांग्रेस: मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को इस माध्यम से 299 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जो कुल दान का लगभग 8% है।
    • अन्य दल: तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP) और भारत राष्ट्र समिति (BRS) जैसी अन्य पार्टियों के बीच शेष 10% हिस्सा बंटा।

    प्रमुख ट्रस्ट और दानदाता

    इलेक्टोरल ट्रस्ट एक ऐसा माध्यम है जो कंपनियों और व्यक्तियों से चंदा इकट्ठा कर उसे राजनीतिक दलों को वितरित करता है।

    ट्रस्ट का नाममुख्य दानदाता/समर्थकवितरण का मुख्य हिस्सा
    प्रूडेंट (Prudent)आर्सेलर मित्तल, भारती एयरटेल, डीएलएफ80% से अधिक हिस्सा भाजपा को
    प्रोग्रेसिव (PET)टाटा समूह (Tata Group)करीब ₹915 करोड़ में से ₹757 करोड़ भाजपा को
    न्यू डेमोक्रेटिकमहिंद्रा एंड महिंद्रा समूहमुख्य रूप से भाजपा को समर्थन

    चुनावी बॉन्ड बनाम इलेक्टोरल ट्रस्ट

    चुनावी बॉन्ड में दानदाता की पहचान पूरी तरह गुमनाम रहती थी, लेकिन इलेक्टोरल ट्रस्ट में पारदर्शिता थोड़ी अधिक है:

    1. पारदर्शिता: ट्रस्टों को चुनाव आयोग को अपनी ‘कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट’ देनी होती है, जिसमें डोनर का नाम और किसे कितना पैसा दिया गया, इसका विवरण होता है।
    2. नियम: ट्रस्टों को प्राप्त कुल चंदे का 95% हिस्सा उसी वित्तीय वर्ष में राजनीतिक दलों को देना अनिवार्य है।
    3. कॉर्पोरेट प्रभाव: विशेषज्ञों का मानना है कि बॉन्ड खत्म होने के बाद भी कॉर्पोरेट घरानों का राजनीतिक फंडिंग पर प्रभाव कम नहीं हुआ है, बस रास्ता बदल गया है।
    4. वर्तमान में भारत में 19 इलेक्टोरल ट्रस्ट पंजीकृत हैं, जिनमें से 13 ने अपनी रिपोर्ट जमा की है। इनमें से 4 ट्रस्टों ने इस साल ‘शून्य’ योगदान की घोषणा की है।
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