प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मुंबई जोनल कार्यालय ने 30 जुलाई, 2025 को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए कर्नाला नगरी सहकारी बैंक लिमिटेड (Kamala Nagari Sahakari Bank Ltd.) घोटाले से जुड़ी 386 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को सक्षम प्राधिकारी (महाराष्ट्र सरकार द्वारा नियुक्त) को सौंप दिया है। यह कदम उन हजारों जमाकर्ताओं को राहत पहुँचाने के उद्देश्य से उठाया गया है जिन्होंने इस घोटाले में अपनी गाढ़ी कमाई खो दी थी।
ईडी की जांच में सामने आया कि बैंक के पूर्व अध्यक्ष ने बैंक के अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर धोखाधड़ी की और निजी निवेश के लिए बैंक फंड का गबन किया। मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की गई इस कार्रवाई में, ईडी ने पाया कि बैंक के पूर्व अध्यक्ष और अन्य अधिकारियों ने आपराधिक साजिश रचते हुए 63 फर्जी खाते बनाए। इन खातों के माध्यम से, RBI के दिशानिर्देशों और बैंकिंग मानदंडों का उल्लंघन करते हुए 560 करोड़ रुपये का गबन किया गया।
जांच से पता चला है कि धोखाधड़ी और गबन से प्राप्त राशि को विवेकानंद शंकर पाटिल और उनके रिश्तेदारों द्वारा नियंत्रित विभिन्न संस्थाओं में डाइवर्ट किया गया था। इस अपराध से अर्जित राशि (POC) का उपयोग रायगढ़ जिले महाराष्ट्र में विभिन्न स्थानों पर अचल संपत्तियों की खरीद के लिए किया गया। इन संपत्तियों को PMLA के तहत 17.08.2021 और 12.10.2023 को अस्थायी रूप से कुर्क किया गया था।
हाल ही में, 22.07.2025 को माननीय विशेष PMLA न्यायालय, मुंबई ने संपत्ति को परिसमापक (Liquidator) को जारी करने का आदेश दिया, ताकि इसे नीलाम करके जमाकर्ताओं को पैसा लौटाया जा सके। न्यायालय ने सक्षम प्राधिकारी को पोसारी, रायगढ़ में जमीन को भी नीलाम करने का निर्देश दिया है।
कर्नाला नगरी सहकारी बैंक लिमिटेड के 5 लाख से अधिक जमाकर्ताओं ने 553 करोड़ रुपये से अधिक की राशि गंवाई थी। ईडी ने जमाकर्ताओं के बड़े हित में और चल रहे वसूली प्रयासों को तेज करने के लिए यह कदम उठाया है। यह कार्रवाई वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ सरकार की सख्त नीति को दर्शाती है।