भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के मीडिया और पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने चुनाव आयोग (ईसी) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के बयान विरोधाभासी हैं, जिससे उसकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं।
खेड़ा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट में कहा कि चुनाव आयोग ने यह कहकर सीसीटीवी फुटेज देने से इनकार कर दिया कि इससे “मां-बहनों की प्राइवेसी भंग होगी”। इस पर सवाल उठाते हुए खेड़ा ने कहा, “अगर सीसीटीवी फुटेज से प्राइवेसी भंग हो जाएगी, तो करोड़ों रुपए खर्च करके कैमरे क्यों लगाए गए?” उनका यह तर्क सीधे तौर पर चुनाव आयोग के रुख पर प्रश्नचिह्न लगाता है, क्योंकि सीसीटीवी कैमरों का मुख्य उद्देश्य ही निगरानी करना है।
खेड़ा ने एक और चौंकाने वाला दावा किया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के मुख्य आयुक्त ज्ञानेश कुमार गुप्ता ने शाम करीब 4 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट (यानी, कंप्यूटर द्वारा पढ़ी जा सकने वाली वोटर लिस्ट) नहीं दे सकते। लेकिन, इसी दिन शाम को 7 बजे, चुनाव आयोग ने खुद बिहार के 65 लाख लोगों के नाम वाली मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी।
इस विरोधाभास को उजागर करते हुए खेड़ा ने कहा, “ये तो पूरी कहानी ही अलग है। यानी- जिस लिस्ट से प्राइवेसी भंग हो रही थी, उसे खुद चुनाव आयोग ने सार्वजनिक रूप से जारी कर दिया।”
पवन खेड़ा का यह बयान एक बार फिर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर बहस छेड़ सकता है। विपक्ष लगातार आरोप लगाता रहा है कि चुनाव आयोग निष्पक्षता से काम नहीं कर रहा है। इन आरोपों पर चुनाव आयोग की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।